एक टीचर के भरोसे चल रहा स्कूल, शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे बच्चे

बीजापुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur) जिले में शिक्षा विभाग (Education Department) की लापरवाही का खामियाजा 50 आदिवासी बच्चियां भुगत रही हैं. शिक्षा विभाग द्वारा इन मासूम बच्चियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. बता दें कि, कन्या प्राथमिक शाला करकेली के आवासीय स्कूल में पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक के 5 कक्षाओं के 50 बच्चों के लिए केवल एक ही शिक्षक पदस्थ किया गया है. एक टीचर के भरोसे कक्षाएं चल रही हैं. इस लापरवाही का सीधा असर बच्चियाों की पढ़ाई पर पड़ रहा है.

अपने नौनिहालों के बेहतर भविष्य की चाह में गरीब आदिवासी अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में करते हैं. मगर यहां शिक्षा विभाग की लापरवाही और अनदेखी की वजह से इन आदिवासियों की पढ़ने की चाहत पर ग्रहण लगता दिख रहा है. जिले के भैरमगढ़ ब्लाॅक के करकेली गांव में संचालित कन्या प्राथमिक शाला में पहली से पांचवीं कक्षा तक अध्ययनरत 5 कक्षाओं के 50 छात्राओं के लिए केवल एक ही शिक्षक को विभाग ने पदस्थ किया है. इस वजह से बच्चों की पढ़ाई पर सीधे तौर पर असर पड़ रहा है.

शिक्षा विभाग की लापरवाही का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस स्कूल में अध्ययनरत आदिवासी मासूमों के लिए एक ब्लैकबोर्ड तक की व्यवस्था विभाग द्वारा नहीं की गई है. एकल शिक्षक होने के कारण अधिकांश कक्षाओं में पढ़ाई भी नहीं हो पाती है. यहां अध्ययनरत मासूम छात्राएं बताते हैं कि उन्हें पढ़ने की इच्छा तो होती है, मगर शिक्षक नहीं होने की वजह से वो पढ़ाई नहीं कर पाते.  इतना ही नहीं छात्राओं ने ये भी बताया कि इस स्कूल के निरीक्षण के लिए समय-समय पर अधिकारी भी आते हैं. मगर कभी भी इन छात्राओं से मिलकर इनकी समस्या जानने या समझने की कोशिश नहीं करते.

यहां पदस्थ इकलौते शिक्षक बलराम यादव बताते हैं कि एक ही शिक्षक होने की वजह से अध्यापन के कार्य में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. करकेली गांव के सरपंच टोक्काराम वाचम ने बताया कि वे पिछले दो सालों से जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से मिलकर इस स्कूल में शिक्षक की मांग करते आ रहे हैं, मगर अब तक किसी ने कार्रवाई नहीं की. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी  कृष्ण कुमार उद्देष जल्द नए शिक्षा अधिकारी को पदस्थ करने की बात कही है.

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