ईवीएम-वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान, …तो इस बार चार घंटे देरी से आएंगे चुनाव परिणाम!

 
नई दिल्ली 

इस बार हो रहे लोकसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने पूरी तैयारी की है। कुल सात चरणों में होने वाले इस आम चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होना है। हालांकि इसबार चुनाव परिणामों में कुछ घंटों की देरी हो सकती है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आयोग का आदेश दिया है कि हर विधानसभा में एक की बजाए पांच बूथों पर ईवीएम-वीवीपीएटी पर्चियों का औचक मिलान होगा। शीर्ष अदालत के इस आदेश के बाद पर्चियों के मिलान के कारण चुनाव परिणाम में देरी हो सकती है।  

बता दें कि 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ईवीएम से वीवीपीएटी के 50 फीसदी मिलान की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस याचिका को लंबित नहीं रखा जा सकता है। गौरतलब है कि इस समय चुनाव आयोग हर विधानसभा क्षेत्र में किसी एक ईवीएम और वीवीपीएटी का औचक मिलान करता है। इस बार के चुनाव में कुल 10.35 लाख मतदान केंद्र हैं और हर विधानसभा क्षेत्र में औसतन 250 पोलिंग स्टेशन होते हैं। आयोग ने कोर्ट में दलील दी थी कि एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपीएटी पर्चियों की काउंटिंग में एक घंटे का वक्त लगता है और 50 फीसदी की गिनती में औसतन 5.2 दिन लगेगा। 

अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हर विधानसभा क्षेत्र में पांच औचक तरीके से चुने गए ईवीएम के वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान होगा। इस आदेश के बाद चुनाव आयोग को अपने प्रस्तावित 4,125 ईवीएम की जगह 20,625 ईवीएम और उसके वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती करनी होगी। अगर चुनाव आयोग की सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील (आयोग ने शीर्ष अदालत में दलील दी थी कि 50 फीसदी ईवीएम और उसके वीवीपीएटी का मिलान करने पर उसे 5.175 लाख ईवीएम और वीवीपीएटी की गिनती करनी होगी और इसमें चुनाव परिणाम में करीब 5.2 दिन की देरी हो सकती है) से आकलन करें तो चुनाव परिणाम में 3.8 घंटे की देरी हो सकती है। 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा 
कोर्ट ने सोमवार को 50 प्रतिशत वाली मांग नहीं मानी, लेकिन चुनाव आयोग से कहा कि वह हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम पांच ईवीएम का वीवीपैट वेरिफिकेशन करे और संसदीय क्षेत्र के मामले में हर एसेंबली सेगमेंट में पांच ईवीएम का वेरिफिकेशन किया जाए। आयोग ने इससे पहले दावा किया था कि वीवीपैट से मिलान वाली ईवीएम की संख्या 50 प्रतिशत करने से रिजल्ट आने में 5-6 दिनों की देर हो सकती है। याचिककर्ताओं ने कहा था कि यह समस्या ज्यादा मैनपावर लगाकर दूर की जा सकती है। हालांकि कोर्ट ने बीच का रास्ता निकाला, जिससे विपक्षी दल संतुष्ट नहीं हुए। कोर्ट ने कहा कि वह मौजूदा व्यवस्था पर 'शक' नहीं जता रहा है। 
 

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