इस बार भी फर्स्ट डिविजन से पास नहीं कर पाए बिहार के मतदाता

पटना
बिहार इस एक बार फिर मतदान प्रतिशत के मामले में फिसड्डी साबित हुआ है. इस बार भी मत प्रतिशत में महज सवा प्रतिशत की ही वृद्धि हो सकी है, फिर भी यह 60 प्रतिशत के नीचे ही रह गया. यानि बिहार के मतदाता इस बार भी फर्स्ट डिवीजन से पास नहीं कर पाए.

बता दें कि 16वें लोकसभा चुनाव के लिए वर्ष 2014 में बिहार के लोगों ने 56. 26 प्रतिशत मतदान किया था. इस बार के चुनाव में बिहार में 57.46 प्रतिशत लोगों ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

गौरतलब है कि बिहार के 17 संसदीय चुनावों में बिहार में सबसे ज्यादा 1998 के आम चुनाव में वोट डाले गए थे. कुल 64 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. जाहिर है बिहार दो दशक से मतदान का आंकड़ा पार नहीं कर सका है.

निर्वाचन विभाग के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर अभी तक सबसे ज्यादा वोट 2014 में पड़े थे. इस दौरान करीब 66 प्रतिशत लोगों ने वोट डालने के संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल किया था. फिर भी बिहार यह राष्ट्रीय औसत से 10 प्रतिशत कम ही था.

2014 में पूरे देश में 66.44 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, लेकिन बिहार के मतदाता 56.26 प्रतिशत की सीमा पर ही अटक गए थे. यानि मोदी लहर भी मतदाताओं को बड़ी संख्या में घर से बाहर निकाल पाने में बेअसर साबित हुई थी.

आंकड़ों के अनुसार अभी तक बिहार में सिर्फ पांच बार ही मतदान प्रतिशत 60 से अधिक हो पाया है. 1998 में सबसे अधिक 64.60 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 1977 में 60.76, 1989 में 60.24, 1991 में 60.35 और 1999 में 61.48 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.

वहीं 1951 में सबसे कम 40.35 प्रतिशत. 1957 में 40.65, वर्ष 2009 में 44.47, 1962 में 46.97 और 1971 में 48.96 प्रतिशत मतदान हुआ था. यानि इन सभी चुनावों में यह 50 प्रतिशत से नीचे ही रह गया था. वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में उपजी सहानुभूति लहर में भी बिहार में महज 58 प्रतिशत मतदान ही हुआ था.

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