इन-हाउस पैनल की सुनवाई के दौरान वकील की मौजूदगी का अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

  नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि इन-हाउस सुनवाई के दौरान किसी पक्ष को वकील के जरिए प्रतिनिधित्व का अधिकार नहीं है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में आरोप लगाने वाली महिला के वकील को सुनवाई का हिस्सा न बनाए जाने को लेकर विरोध के बीच शीर्ष अदालत का यह फैसला अहम है। सीजेआई पर आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी के वकील को इन-हाउस पैनल की कार्यवाही के दौरान प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी। इस पर महिला ने आरोप लगाया था कि उसके साथ अन्याय किया गया है।
 
शिकायतकर्ता महिला ने कहा था कि वह काफी परेशान महसूस कर रही हैं। महिला ने इन-हाउस पैनल की सुनवाई के दौरान अपनी वकील वृंदा ग्रोवर को भी साथ ले जाने की अनुमति मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट के इन-हाउस पैनल में जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं। यही नहीं महिला ने आरोप लगाया था कि उसका और उसके पति का पीछा किया जा रहा है। इसलिए इस मामले में पैनल में सुप्रीम कोर्ट के बाहर के किसी शख्स को भी शामिल किया जाना चाहिए। 

चीफ जस्टिस के समर्थन में उतरा बार काउंसिल 

सुप्रीम कोर्ट ने यह बात बैंक की ओर से डिफॉल्टर घोषित किए जाने के मामले में इन-हाउस सुनवाई को लेकर यह बात कही। याचिकाकर्ता ने इस सुनवाई के दौरान वकील की मौजूदगी की मांग की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि इन-हाउस सुनवाई के दौरान इसकी जरूरत नहीं है। 

साजिश के दावों की जस्टिस पटनायक ने शुरू की जांच 
इस बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पटनायक ने उन दावों की जांच शुरू कर दी है, जिनमें यह कहा गया था कि सीजेआई पर आरोप एक साजिश का हिस्सा हैं। एक वकील ने सनसनीखेज दावा करते हुए कहा था कि इस घटनाक्रम के पीछे फिक्सर हैं और साजिश के तहत मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए हैं। अपनी जांच के लिए जस्टिस पटनायक ने सीबीआई, इंटेलिजेंस ब्यूरो और दिल्ली पुलिस से जरूरी जानकारी मांगी है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *