इंसान से नहीं, वस्तुओं से हो गया है मोह – गौरव कृष्ण

रायपुर
आज का समय चक्र है कि लोग वस्तुओं से प्रेम करने लगे हैं इंसान से नहीं। दूसरों से क्या अपनो के प्रति ही प्रेम नहीं रह गया है। मनुष्य की एक इच्छा हो तो पूरा होना संभव हैं लेकिन इच्छाएं कतई पूरे नहीं होंगे। प्रणाम का अर्थ है समर्पण और यह कोई क्रिया नहीं कर्म का प्रतीक है। लोग तो आज प्रणाम को भी रस्मी तौर पर निभाने लगे हैं्।

माहेश्वरी भवन कमल विहार में श्रीमद्भागत कथा के प्रसंग पर कथावाचक गौरव कृष्ण गोस्वामी ने कहा कि ईश्वर के प्रति यह सोचना कि जो कुछ है वह आपसे से ही है, यही सच्चा प्रणाम है। प्रणाम का अर्थ है समर्पण। यह तीन प्रकार के होते है एक हाथ जोड़कर, दूसरा सिर झुकाकर व तीसरा हृदय से। यह कोई क्रिया का नहीं, कर्म का प्रतीक है। यदि इसमें भक्ति व प्रेम भी समर्पित हो गया तो यही सच्चा प्रणाम है क्योंकि प्रेम का संबंध सीधे हृदय से है। पूजा पाठ न करें, माला न जपें, कोई बड़ा धार्मिक कार्य न करें चलेगा। लेकिन हृदय से यदि ईश्वर का वंदन कर लिया तो वह जीवन के सारे बंधन खोल देते हैं। लेकिन इंसान है कि दो मिनट के लिए भी माया की दुनिया को नहीं भुला पाता है। मंदिर भी जाते हैं तो दर्शन करते समय सोंचते रहते हैं कुछ मांगना भूल तो नहीं गए। संसारी लोगों को इतना ध्यान रखना चाहिए कि उसने देने में कभी कोई कमी नहीं की है। यदि उसकी कृपा नहीं हुई तो आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाओगे।

कृुपा का दर्शन करना ही प्रार्थना-
जीवन की कमियां गिनाना नहीं, कृपा का दर्शन करना ही सच्ची प्रार्थना है। जीवन में कितनी भी मुश्किलें आ जाए पर प्रतिकूल परिस्थितियों में भी ईश्वर पर भरोसा रखना सच्ची प्रार्थना है। लेकिन आज की विडंबना देखें जब लोग मंदिरों में भी जाते हैं तो चप्पल भी पोजीशन देखकर उतारते हैं ताकि भगवान के दर्शन करते समय चप्पल पर भी नजर रहे ताकि कोई चुरा न लें। मंदिर से बाहर भी आते हैं तो सोंचते हैं कुछ मांगना भूल तो नहीं गए।

कल कभी नहीं आता-
कल कभी नहीं आता, इसलिए जो भी करना है आज ही कर लें। यहां तक कि शुभ कार्य करने से भी हमारे दुष्कृत हमें रोक लेते हैं। पाप रास्ता रोक लेता है। गंगा में गोता लगाने जाते हैं लेकिन लगा नहीं पाते।

इच्छाएं कभी पूरी नहीं होती-
कितना उलझ गया है जीवन, एक इच्छा पूरी होती है तो दूसरी जागृत हो जाती है। एक आम आदमी इसलिए परेशान है कि मार्केट में नया आईफोन आ गया है। पहले इंसान का इंसान से मोह होता था आज वस्तुओं से मोह हो गया है। इसलिए कि इच्छाएं जीवन के आखिरी सांस तक पूरी नहीं हो पा रही है। परेशान हैं,नींद नहीं आ रही है।

 

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