कुकरैल में जन्मे 500 घड़ियाल, नदियों में छोड़े जाएंगे, अन्य राज्य भी भेजा जाएगा

 माथुर,लखनऊ 
कुकरैल स्थित घड़ियाल पुनर्वास केंद्र में इस बार 500 बच्चों ने जन्म लिया है। कुकरैल में इनकी उछल-कूद का नजारा देखकर अधिकारी और कर्मचारी भी बेहद खुश हैं। इनकी सुरक्षा को लेकर वनकर्मी मुस्तैद रहते हैं। 

लुप्तप्राय परियोजना के वन्यजीव प्रतिपालक अबु अरशद ने बताया कि इस बार करीब 520 से अधिक अंडे हैचिंग के लिए रखे गए थे। इनमें से 500 घड़ियाल हैचिंग के बाद बाहर आए हैं। इन्हें तीन साल तक यहीं रख कर पाला जाएगा। उसके बाद नमामि गंगे योजना के तहत इन्हें नदियों में छोड़ा जाएगा। इसके अलावा मांग के आधार पर दूसरे राज्यों में भी घड़ियाल भेजे जाते हैं। पिछले वर्ष भी कुकरैल में 500 घड़ियालों का जन्म हुआ था, वहीं 2018 में ये संख्या 126 के करीब रही।

मार्च और अप्रैल में देते हैं अंडे
वन्यजीव प्रतिपालक ने बताया कि हर साल मार्च के अंतिम सप्ताह से घड़ियाल का प्रजनन काल शुरू होता है। मई-जून में मादा घड़ियाल रेत में 30/40 सेमी का गड्ढा खोद कर 40 से लेकर 70 अंडे देती हैं। इन्हें 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेटेड तापमान पर रेत में दबा कर रखा जाता है। करीब दो महीने भर बाद अंडों से बच्चे मदर कॉल करते हैं जिसे सुन फीमेल मादा घड़ियाल रेत हटा कर बच्चों को निकालती हैं। बताया कि घड़ियाल पालन एवं विमोचन केंद्र कतर्नियाघाट से 10 घाड़ियालों के घोसलों को भी यहां लाया गया है। उनमें से भी बच्चों के निकलने की उम्मीद है।

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