इंदौर में सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल को मंजूरी
भोपाल
कमलनाथ कैबिनेट की बैठक मंगलवार को हुई। इसमें कई महत्वपूर्ण फैसलों को मंजूरी दी गई। सरकार ने इंदौर में 937 करोड़ रुपए से 970 बेड का सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल और मप्र मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण बनाने का निर्णय लिया है। साथ ही सरकार मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड जबलपुर को एसबीआई से मिलने वाले 500 करोड़ रुपए की गारंटी देने का फैसला लिया है। इसके साथ ही स्वेच्छानुदान में बढ़ोत्तरी की गई है। विधानसभा अध्यक्ष का एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ और उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का 50 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है। बैठक
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा और उच्चशिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कैबिनेट की बैठक की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड जबलपुर को एसबीआई से मिलने वाले 500 करोड़ रुपए की गारंटी सरकार देगी। साथ ही सरकार ने मप्र मानसिक रोगी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है। इसमें 9 शासकीय और 11 अशासकीय सदस्य होंगे। देश में पहली बार ऐसे प्राधिकरण को बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके जरिए मानसिक रोगियों को इलाज और उनके परिवार को सहायता देने का काम किया गया जाएगा। मप्र के नेता प्रतिपक्ष और विधानसभा अध्यक्ष का स्वेच्छानुदान दोगुना कर दिया गया है।
नजूल निवर्तन निर्देश 2020 को मंजूरी
कैबिनेट ने नगर भूमि सीमा अधिनियम 1976 को मंजूरी दे दी है। नजूल की जमीन पर बनी अवैध कॉलोनियों वैध की जाएंगी, इसके लिए तय शुल्क देना होगा। इसके लिए विभाग ने 20 साल पुराने नजूल भूमि आवंटन नियम बदलकर नजूल निवर्तन निर्देश 2020 तैयार किया गया है। इसके अलावा विभाग भोपाल, इंदौर समेत अन्य शहरों में सरकारी जमीनों पर बनी अवैध कालोनियों को वैध करने की व्यवस्था का प्रस्ताव पेश किया गया और चर्चा हुई।
970 बेड का होगा इंदौर सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल
जीतू पटवारी ने बताया कि इंदौर में सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल 937 करोड़ रुपए से बनेगा। अस्पताल 970 बेड का होगा, क्योंकि इंदौर के अस्पतालों में पहले से ही मरीजों का बहुत ज्यादा बोझ है। संभाग और प्रदेशभर से लोग इंदौर पहुंचते हैं। ऐसे में इस अस्पताल की जरूरत थी। इसके साथ ही चिकित्सा महाविद्यालय जबलपुर और इंदौर में नए पदों का सृजन किया गया है। 54 पद जबलपुर और 59 पदों का इंदौर में सृजित किए गए हैं। वर्ष 2000 में इन्हें वैध करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन शुल्क की वसूली न होने से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया गया था। इस मामले में नगर भूमि सीमा अधिनियम 1976 के अंतर्गत व्यवस्थापन किया जाएगा।