इंदौर में सियासी हलचल तेज, ताई के इनकार से इनकी दावेदारी मजबूत

इंदौर
देश में 8 बार लगातार सांसद बनने के बाद लोकसभा अध्यक्ष बन कर इंदौर का नाम बढाने वाली सुमित्रा महाजन ने अब लोकसभा चुनाव नही लडने की घोषणा कर दी। उनके इस कदम से भाजपा के नेता ही नहीं कार्यकर्ता और आम लोग भी हतप्रभ रह गए। ताई ने इसके लिए लिए इंदौर में उम्मीदवार की घोषणा नहीं होने और अनिर्णय की स्थिती में संकोच होने की बात कही।  ताई ने कहा की वे पार्टी की कार्यकर्ता के रूप में काम करती रहेगी। उनके इस तरह से पत्र भेजने के बाद इंदौर की सियासत में भूचाल आ गया है। ताई ने एक तरह से खुद को अलग कर लिया है। जिससे कई नेताओं की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. 

चुनाव मैदान से ताई के हटने की घोषणा करने के बाद माना जा रहा है कि उनके उत्तराधिकारी के रूप में नाम लिए जाएंगे। इसके लिए चर्चाओं में कई नाम है। इंदौर में भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा इसकी घोषणा संसदीय बोर्ड की बैठक में होगी। इंदौर से दावेदारों के रूप में ताई से तीन नाम मांगे गए हैं। माना जा रहा है कि ताई इसके लिए कैलाश विजयवर्गीय को छोड़ कर नाम दे सकती हैं। इंदौर से सशक्त दावेदारों के रूप में कैलाश विजयवर्गीय के साथ मालिनी गौड, रमेश मैंदौला, शंकर लालवानी, गोपी कृष्णा नेमा, कृष्णमुरारी मोघे, भवंरसिंह शेखावत का नाम हो सकता हैं। इसके अतिरिक्त पार्टी द्वारा किसी बाहरी नेता को भी इंदौर से प्रत्याशी बनाया जा सकता है जिसे सेफ सीट पर उतारा जाना हो।

गौरतलब है कि इंदौर से 8 बार लगातार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन का जन्म महाराष्ट्र के चिपलून में 12 अप्रैल 1943 को उषा और पुरुषोतम साठे के घर में हुआ था। उनका विवाह 29 जनवरी 1965 में इंदौर के जयंत महाजन के साथ हुआ। उन्होनें इन्दौर में स्नातकोत्तर और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है। महाजन ने 1989 के आम चुनाव में पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग लिया और उन्होंने कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराया। इससे पहले इंदौर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से वो विधान सभा चुनाव हार चुकी थीं। सुमित्रा महाजन 2002 से 2004 तक केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में भी शामिल थीं। महाजन देश की प्रथम महिला हैं जो कभी लोकसभा चुनावों में पराजित नहीं हुई। वो आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली पहली महिला सांसद है। महाजन जून 2014 में लोक सभा अध्यक्ष के लिए निर्विरोध चुनी गई थी और यह भी पहली बार था कि भारतीय जनता पार्टी का कोई सांसद लोक सभा अध्यक्ष बना था।

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