आरजीपीवी रजिस्ट्रार रहते जैन को कुलपति नजरअंदाज कर राज्यपाल को पत्र लिखना पड़ेगा भारी

भोपाल
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार सुरेश कुमार जैन पर जांच रिपोर्ट शासन के पास पहुंच गई है। उन्हें पांच बिंदुओं पर दोषी पाया गया है। अब शासन उनके खिलाफ रिपोर्ट आधार पर दंडित करेगा।

रजिस्ट्रार जैन ने आरजीपीवी में रहते हुए काफी अनियमितताएं की थीं, जिसके खिलाफ चौतरफा शिकायतें हुई थीं। इसके चलते शासन ने आरजीपीवी के सचिव अरुण नाहर को रजिस्ट्रार जैन की जांच करने का दायित्व दिया था। सचिव नाहर ने अपनी रिपोर्ट प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल के सुपुर्द कर दी है। पीएस अग्रवाल रिपोर्ट के आधार पर अपनी कार्रवाई तय करेंगे। इसमें सबसे ज्यादा बड़ा आरोप कुलपति सुनील कुमार गुप्ता को नजरअंदाज कर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखा था। इसके लेकर तत्कालीन प्रमुख सचिव ने प्रोटोकल का पालन नहीं करने पर आपत्ति जताई थी। यहां तक शासन को पत्र लिखकर जांच कराने के लिए कहा था। रजिस्ट्रार जैन को आरजीपीवी से विदा कर उज्जैन इंजीनियरिंग में भेज दिया गया है। वर्तमान में प्रभारी रजिस्ट्रार के रुप में सुरेश सिंह कुशवाह पदस्थ हैं।

ये थे आरोप, जो जांच में सही निकले

  • कुलपति को नजरअंदाज कर राज्यपाल से सीधे पत्र व्यवहार किया था, जिसमें तत्कालीन राजभवन पीएस ने आपत्ति जताई थी।
  • साफ सफाई का भुगतान करने के लिए रजिस्ट्रार जैन ने कुलपति को नजरअंदाज कर भुगतान कर दिया था।
  • एमआईटीएस ग्वालियर को माइग्रेशन और प्रमाण पत्र प्रकाशित कर आवंटित करने की स्वीकृति प्रदान कर दी थी।
  • ओएमआर सीट में जबरिया विलंब कराने के कारण आरजीपीवी की गतिविधियों में लेटलतीफी हुई थी। इससे विद्यार्थियों को काफी परेशानी उठाना पड़ी।
  • डिग्री व अंकसूचियों को रजिस्ट्रार जैन ने जबरिया रोक रखा था, जिसके कारण विद्यार्थियों को उक्त दस्तावेज समय पर नहीं मिल सके।

दूसरी जांच खत्म
रजिस्ट्रार रहते हुए जैन ने कैंटीन में दस लाख रुपए जमा नहीं कराए थे। इसकी शिकायत भीशासन के पास हुई थी। इसके चलते शासन उनकी जांच का दायित्व तकनीकी शिक्षा विभाग में पदस्ाि अभय जैन को दिया गया था, लेकिन उनके पास शिकायतकर्ता सभी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिसके कारण जांच को निरस्त कर दिया गया। साक्ष्यों के अभाव में शाासन रजिस्ट्रार जैन को क्लीनचिट मिल गई है।

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