आदिवासी बाहुल्य बीजापुर में तैयार हो गई बेरोजगारों की फौज, 10 हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड

बीजापुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के आदिवासी बाहुल्य बीजापुर (Bijapur) जिले में बेरोजगारों की फौज खड़ी होती नजर आ रही है. वर्तमान में इस छोटे से पिछड़े जिले में 10 हजार 200 पंजीकृत बेरोजगार (Unemployed) नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं. ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट छात्र हाथों में डिग्रियां लिए नौकरी की तलाश कर रहे हैं. लेकिन इनकी नौकरी को लेकर कोई भी उचित संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं, जिससे आने वाले दिनों में इनकी संख्या और बढ़ने की आशंका है.

सूबे के धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर (Bijapur) जिले में केवल नक्सलवाद (Naxalism) ही नहीं बल्कि अब एक और समस्या पनप रही है. और वो है बेरोजगारी. यहां के छात्र बेहतर भविष्य का ख्वाब लिए 1 वीं पास कर बड़े शहरों में पढ़ने जाते हैं. फिर जब वापस लौटते हैं तो उनके हाथों में डिग्रीयां होतीं हैं. इन्हीं डिग्रीयों के भरोसे वो नौकरी की तलाश कर रहे होते हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धा की इस अंधी दौड़ में उन्हें नौकरी मिलने में परेशानी होती है. कई आज भी नौकरी की तलाश में हैं.

बीजापुर जिले में एक भी उद्योग संचालित नहीं है. जिस कारण यहां के स्थानीय निवासी बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर हैं. बेरोजगार युवा मनोज इमडी और प्रियंका नेताम का कहना है कि कई अशिक्षित बेरोजगार, रोजगार की तलाश में पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और तेलंगाना की ओर पलायन करने को मजबूर हैं. रोजगार कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान मे जिले में 10 हाजार 200 पंजीकृत बेरोजगार जिले में हैं. बीजापुर के रोजगार अधिकारी रिषिकेष सिंह सिदार की मानें तो हर साल डेढ़ से 2 हजार बेरोजगारों की खेफ बीजापुर में तैयार हो रही है. शासन के नियमानुसार रोजगार की व्यवस्था की जाती है.

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