आदिवासी इलाकों में ख़तरे में बीजेपी, 6 सीटों पर कांग्रेस ने बिगाड़ा खेल
भोपाल
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुत लोकसभा क्षेत्रों में इस बार बीजेपी का सियासी गणित बिगड़ गया है. विधानसभा चुनाव में इन इलाकों में कांग्रेस के पक्ष में वोट पड़े थे. इसलिए बीजेपी चिंता में डूबी हुई है कि कहीं लोकसभा चुनाव में भी जनता कांग्रेस के साथ ना चली जाए.
विधानसभा चुनाव के परिणाम ने प्रदेश की छह आदिवासी लोकसभा सीटों पर बीजेपी का सियासी समीकरण बिगाड़ दिया है. अभी इनमें से पांच बीजेपी और एक सीट सिर्फ कांग्रेस के पास है. लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें, तो इन सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली है. इन संसदीय क्षेत्रों की विधानसभा सीटें अब कांग्रेस के पास हैं.
धार लोकसभा सीट
इस संसदीय क्षेत्र में आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से 6 कांग्रेस के पास और 2 बीजेपी के पास बची हैं. 2009 में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी जीते थे. लेकिन मोदी लहर में बीजेपी की सावित्री ठाकुर 2014 ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली. अब बीजेपी इस सीट पर नया चेहरा तलाश रही है और कांग्रेस राजूखेड़ी पर दांव खेल सकती है.
मंडला
यहां की 8 विधानसभा सीट में से 6 पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस का कब्जा है.बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते एंटी इंकमबेंसी के शिकार हैं.बीजेपी कुलस्ते का टिकट काट कर नए चेहरे को और कांग्रेस पूर्व विधायक संजीव उइके को मौका दे सकती है.
शहडोल
बीजेपी के ज्ञान सिंह सांसद हैं…आठ विधानसभा वाली संसदीय सीट में कांग्रेस और बीजेपी के पास 4-4 सीटें हैं…कांग्रेस नये चेहरे के जरिए इस सीट को जीतना चाहती है.
बैतूल
बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे जाली जाति प्रमाण पत्र के मामले में फंसी हैं. इसलिए उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है.यहां भी 4-4 विधानसभा सीट बीजेपी कांग्रेस के पास हैं.कांग्रेस के पास कई दावेदार हैं.
खरगौन
कांग्रेस मजबूत स्थिति में है.8 विधानसभा सीटों में से एक बीजेपी, एक निर्दलीय और छह कांग्रेस के पास हैं.बीजेपी अपने मौजूदा सांसद सुभाष पटेल का टिकट काट सकती है.
रतलाम-झाबुआ
ये इलाका कांग्रेस का गढ़ है.2014 में मोदी लहर में बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया जीत गए. लेकिन उनके निधन के बाद 2015 में लोकसभा उपचुनाव हुआ, जिसमें फिर से कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया जीत गए. यहां 5 विधानसभा सीटें कांग्रेस और 3 बीजेपी के पास हैं.
प्रदेश की शहडोल, मंडला, बैतूल, खरगौन, धार और रतलाम सीट आदिवासी बाहुल्य हैं.यहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है तो बीजेपी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.बीजेपी के पास पांच सीटें जरूर है, लेकिन इस चुनाव में इन सीटों को बचा पाना अब आसान नहीं लग रहा.