आदिवासियों की सरकार को खुली चेतावनी-हमारे साथ खड़े हो, वरना करेंगें आंदोलन

बुरहानपुर
नेपानगर के बदनापुर में हुए गोलीकांड का मामला गर्मा गया है।आदिवासी समाज लगातार अधिकारियों पर एफआईआर की मांग पर अड़ा हुआ है, हालांकि सोमवार को सरकार ने कार्रवाई करते हुए तीन वन अधिकारियों को हटा दिया था। बावजूद इसके आदिवासी मानने को तैयार नही है। अब  इसके विरोध में जागृत आदिवासी दलित संगठन ने कमलनाथ सरकार को चेतावनी दी है कि हमारे साथ खड़े हों, वरना आंदोलन किया जाएगा। विधानसभा और कर्नाटक में मचे हंगामे के बीच आदिवासियों की इस चेतावनी ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है, हालांकि अभी तक इस मामले में किसी भी मंत्री या विधायक का बयान सामने नही आया है।

दरअसल, बुरहानपुर में हुई घटना के विरोध में जागृत आदिवासी दलित संगठन ने मंगलवार को भोपाल में  एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ और मंत्री ओंकार सिंह मरकाम को पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि बुरहानपुर, बड़वानी और खरगोन में आदिवासियों के साथ जो रहा है, वह गलत है। इसमें प्रशासन-पुलिस दोनों शामिल रहे। वन विभाग के लोगों ने फायरिंग की। छर्रे लगने से पांच लोग घायल हुए। पिछले एक वर्ष में कई घटनाएं आदिवासियों के विरोध में हुईं। उन्होंने मांग की है कि जिन्होंने आदिवासी किसानों पर गोलियां चलाई, उन पर आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज कर उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए।साथ ही जिन 125 ग्रामीण आदिवासियों पर फर्जी प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें तुरंत हटाया जाए और प्रदेश में वन अधिकार अधिनियम-2006 का पूरी तरह से पालन किया जाए। आदिवासियों ने कहा कि यदि सरकार उनके साथ नहीं खड़ी हुई  और बुरहानपुर मामले में न्याय नहीं मिला तो वे आंदोलन करेंगे।

वही बदनापुर फायरिंग मामले में अफसरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर दो दिन से थाना परिसर में डटे आदिवासियों के आगे प्रशासन झुक गया है। अब एसडीएम कार्यालय में बुधवार को उनकी सुनवाई रखी गई है। इससे पहले सरकार ने नेपानगर में पदस्थ डीएफओ सुधांशु यादव का श्योपुर, उप वन मंडलाधिकारी बीके शुक्ला और रेंजर राजेश रंधावा का ट्रांसफर खंडवा कर दिया।लेकिन आदिवासी लगातार इस मामले में दोषी डीएफओ व अन्य वन कर्मियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं

बता दे कि बदनापुर वनपरिक्षेत्र में 9 जुलाई को अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दौरान प्रशासनिक अमले और आदिवासियों के बीच जमकर विवाद हुआ था। इस दौरान वन विभाग के अमले ने फ़ायरिग की थी जिसमें बंदूक के छर्रे लगने से 5 आदिवासी घायल हुए थे। वहीं इस दौरान वनविभाग के एसडीओ सहित चार वनकर्मी भी जख्मी हुए थे जिसके बाद से इस मामले ने तूल पकड़कर रखा है।वही प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा हुआ है।

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