आतंक से लड़ा बहादुर रोजी-रोटी को मोहताज, मिल चुका है राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार

 नई दिल्ली                                                                                                                                                                                                         
वर्ष 2008 में दिल्ली में पांच स्थानों पर हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद कथित आतंकियों की पहचान कर उनके स्कैच बनाने वाला 12 साल का वह बच्चा बालिग हो चुका है। धमाकों के बाद उसे समाज व सरकार द्वारा दिखाया गया उज्जवल भविष्य का सपना अब टूट चुका है। 22 साल का यह युवक रोजी-रोटी के लिए मोहताज है। वह सरोजनी नगर मार्केट में एक दुकान पर सेल्समैन का काम कर रहा है।  जिस समय दिल्ली में धमाके हुए राहुल महज 12 साल का था। घटना के समय वह बाराखम्बा बस स्टैंड के बास गुब्बारे बेच रहा था। 

धमाके के बाद राहुल ने पुलिस को दो संदिग्धों के बारे में बताया था। उन संदिग्धों का स्कैच भी बनवाया। राहुल की इस मदद की वजह से ही इंडियन मुजाहिद्दीन के कथित आतंकियों तक दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल पहुंच पाई थी। राहुल की गवाही के आधार पर ही बाटला हाउस एनकाउंटर के दोषियों को सजा मिल पाई थी। उस समय राहुल को राष्ट्रपति ने 26 जनवरी 2009 को राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया था। लेकिन आज उसकी हालत खस्ता है।

मां की हो चुकी है मौत, पिता लापता : राहुल के जन्म के एक साल के बाद उसकी मां की मौत हो गई थी। पिता भी लम्बे समय से लापता हैं। वर्ष 2008 में वह अपने नाना-नानी के साथ कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर के बाहर फुटपाथ पर रहता था। आतंकियों की पहचान के बाद उसे सम्मानित किया गया।

लेकिन बाद में सारी चीजें धुंधली होती चली गईं। वह फिर से फुटपाथ पर आ गया है। नाना-नानी के साथ आनंद पर्वत की झुग्गियों में रह रहा है। वह जनवरी 2018 से अप्रैल 2019 मुंबई में था। वह एक बड़े नेता के आश्वासन पर वहां गया था। लेकिन उसकी वहां किसी ने नहीं सुनी। 

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