आईटीआर में गलती हो, तो मिलता है सुधार का मौका

नई दिल्ली    
आयकर रिटर्न भरने कोई गलती हो जाती है तो घबराएं नहीं। आयकर विभाग गलती सुधारने का पूरा मौका देता है। गलत अकाउंट नंबर, कर छूट का गलत दावा जैसी जानकारी सुधार सकते हैं। रिटर्न जिन लोगों ने भर दिया है और उनसे आंकड़ों या तथ्यों में कोई गड़बड़ी हो गई है तो ईफाइलिंग पोर्टल में दिए गए कॉलम में सही विकल्प का चयन कर सुधार कर सकते हैं।

आयकर की धारा 139(5) कहती है कि अगर आईटीआर भरने के बाद किसी गलत आंकड़े या तथ्य का अहसास आपको होता है तो संशोधन कर सकते हैं। अगर आपको आंकड़े में बदलाव करना है तो आप शेड्यूल, डोनेशन या कैपिटल गेन जैसे विकल्पों को चुनें। हालांकि ध्यान रखें कि कुल आय और कटौती की राशि समान होनी चाहिए जैसी कि आपने रिटर्न दाखिल करते समय भरी थी।

तथ्यों में सुधार के लिए आपको उस कॉलम में जाकर नई जानकारी भरनी होगी। साथ ही आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे। मान लीजिए कि कर छूट के कॉलम में बदलाव चाहते हैं तो उससे जुड़े दस्तावेज भी तयशुदा साइज में आपको अपलोड करना होंगे। दस्तावेजों का प्रामाणिक होना भी आवश्यक है।

पहले आयकर विभाग सिर्फ कुछ श्रेणियों के आईटीआर में ही बदलाव की सुविधा देता था। लेकिन अब आप हर तरह के आईटीआर फॉर्म में बदलाव कर सकते हैं। अगर आप स्वयं रिटर्न भरने को लेकर सशंकित हैं तो पेशेवर की मदद लेकर ही आईटीआर भरें। सरकार ने रिटर्न भरने की तिथि बढ़ाकर एक अगस्त तक कर दी है।

बदलाव करने के बाद आपको पंजीकृत मोबाइल और ईमेल पर पुष्टि का मैसेज आएगा। आप चाहें तो जो सुधार आपने किए हैं, उन्हें उस दिन के भीतर वापस भी ले सकते हैं। अगर आप बदलाव संबंधी आवेदन वापस लेना चाहते हैं तो पूरी तरह सुनिश्चित कर ऐसा करें, क्योंकि बार-बार बदलाव का मौका आपको नहीं मिलेगा। ध्यान रखें कि आप किसी भी कॉलम में अधिकतम दस बदलाव ही कर सकते हैं। आयकर रिटर्न में कई बार बदलाव करने की छूट तो है, लेकिन इस सुविधा का दुरुपयोग न करें तो बेहतर है, अन्यथा रिटर्न स्क्रूटनी हो सकती है।

पहले आयकर कानून करदाता को आकलन वर्ष के एक साल बाद तक संशोधित रिटर्न भरने की अनुमति देता था। लेकिन पिछले साल बदलाव या संशोधित रिटर्न भरने की समयसीमा आकलन वर्ष खत्म होने तक तय कर दी गई। अगर आप वित्तीय वर्ष 2018-19 का आईटीआर फाइल कर रहे हैं तो 31 मार्च 2020 तक उसमें बदलाव कर सकते हैं। बाद में बदलाव संभव नहीं होगा।

अगर आपने संशोधित आईटीआर भरा है तो दोबारा सत्यापन भी करना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आयकर विभाग बदलावों को स्वीकार नहीं करेगा। ई-वेरीफिकेशन के लिए आधार, ओटीपी, नेट र्बैंकग के जरिये ईवीसी जैसे छह तरीकों से ऐसा कर सकते हैं।

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