अस्पतालों ने नहीं किया भर्ती, मौत, दिल्ली में कार में भटकता रहा कोरोना मरीज
नई दिल्ली
कोरोना संकट के लगातार बढ़ते मामलों और दिल्ली सरकार की ओर से कोरोना रोगियों के लिए बेड की उपलब्धता के बारे में लंबे दावे करना वास्तविकता से परे है. ऐसे ही संकट का सामना एक परिवार को करना पड़ा, लेकिन वह अपने प्रियजन को नहीं बचा सका.
राजधानी में मरीजों की बढ़ती संख्या और कम बेड की वजह से होम क्वारनटीन ही समाधान है, जिसे सरकार भी मान रही है, लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जहां अस्पताल में भर्ती कराना अनिवार्य हो जाता है.
हेल्पलाइन से नहीं मिला जवाब
हालांकि पिछले कुछ दिनों में कई ऐसी घटनाएं घटीं, जहां लोगों को राजधानी के किसी भी अस्पताल में रिजर्व बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण जान गंवानी पड़ी. हाल ही में, दिल्ली के ग्रेटर कैलाश के एक 67 वर्षीय कोरोना मरीज को दिल्ली के अस्पताल की लापरवाही का शिकार होना पड़ा.
मंगलवार को उनकी बेटी अमरप्रीत, जो गुरुग्राम में रहती हैं, ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ट्वीट कर अपने कोरोना पॉजिटिव पिता के लिए मदद मांगी, लेकिन हेल्पलाइन से किसी तरह का जवाब नहीं मिला.
हालांकि ट्विटर पर जल्द मदद करने का भरोसा जताया गया और AAP विधायक दिलीप पांडे ने इस पर तत्काल ध्यान दिया.
अस्पतालों की लापरवाही
उनके दामाद मनदीप ने इंडिया टुडे को बताया कि मेरे ससुर को 26 मई को 100 डिग्री के आसपास बुखार आया और 29 तारीख को हमने एक डॉक्टर के साथ ऑनलाइन परामर्श लिया, जिसने उन्हें 3 दिन के लिए दवाइयां दीं. 31 तारीख को हम गंगा राम अस्पताल गए और एक्सरे करने के बाद उन्होंने कहा कि छाती में संक्रमण है.
मनदीप के अनुसार, उन्होंने कोविड टेस्टिंग के लिए ब्लड सैंपल भी लिया और कहा कि जब तक परिणाम नहीं आ जाते तब तक अस्पताल नहीं आना चाहिए.
अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाते हुए वह आगे कहते हैं कि हमने इस प्रक्रिया के लिए 3 और घंटों का इंतजार किया और उस दिन भारी बारिश भी हो रही थी कि मरीज समेत हम सभी काफी भीग गए क्योंकि वेटिंग एरिया में सफाई की व्यवस्था अच्छी नहीं थी.
1 जून को रिपोर्ट आने के बाद मनदीप और उसकी परिवार ने मैक्स, अपोलो, एम्स, सफदरजंग के अलावा कई अन्य जगहों पर कोरोना पॉजिटिव मरीज को भर्ती कराने की तलाश की लेकिन कहीं कोई जगह नहीं मिली. इस बीच वे एक डॉक्टर के रेफरल पर ही मरीज को दवाइयां देने लगे क्योंकि कोई भी अस्पताल उन्हें देखने और प्रीस्क्रीप्शन देने को तैयार नहीं था.