अयोध्या फैसलाः सुप्रीम कोर्ट ने 1062 बार लिया राम का नाम

 
नई दिल्ली 

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सर्वसम्मति से अयोध्या में विवादित स्थल को लेकर फैसला सुना दिया. शीर्ष कोर्ट के फैसले से राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि नई मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड मुहैया कराया जाए. शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया. आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया.

अयोध्या फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सबसे ज्यादा मस्जिद शब्द को दोहराया. फैसले के दौरान शीर्ष कोर्ट ने 1433 बार मस्जिद, 223 बार पूजा शब्द, 386 बार दिसंबर, 230 बार मंहत, 1062 बार राम, 418 बार मुद्दई, 481 बार मुद्दइयों, हिंदू 506 बार, एक 382 बार, मंदिर 696 बार, संपत्ति 908 बार, सबूत 528 बार, कानून 574 बार, ढांचा 612, विवादित 764, धार्मिक 375, भगवान 490, निर्मोही 493 बार, अखाड़ा 501 बार, कानूनी 515 बार, हिंदुओं शब्द 516 बार इस्तेमाल किया गया. 

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया. इस विवाद ने देश के सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव के ताने बाने को तार तार कर दिया था.

संविधान पीठ ने अपने 1045 पन्नों के फैसले में कहा कि नई मस्जिद का निर्माण ‘प्रमुख स्थल’ पर किया जाना चाहिए. साथ ही उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित किया जाना चाहिए जिसके प्रति हिन्दुओं की यह आस्था है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था.

इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था. विवादित स्थल गिराए जाने की घटना के बाद देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे.

पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला विराजमान को सौंप दिया जाए, जो इस मामले में एक वादकारी हैं. हालांकि यह भूमि केन्द्र सरकार के रिसीवर के कब्जे में ही रहेगी.

न्यायालय ने कहा कि हिन्दू यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विवादित ढांचे के बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था और यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड अध्योध्या विवाद में अपना मामला साबित करने में विफल रहा है.

संविधान पीठ ने यह माना कि विवादित स्थल के बाहरी बरामदे में हिन्दुओं द्वारा व्यापक रूप से पूजा अर्चना की जाती रही है और साक्ष्यों से पता चलता है कि मस्जिद में शुक्रवार को मुस्लिम नमाज पढ़ते थे जो इस बात का सूचक है कि उन्होंने इस स्थान पर कब्जा छोड़ा नहीं था.

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