अब RJD के बैनर-पोस्टर में भी तेजप्रताप को नहीं मिल रही जगह

पटना
लालू (Lalu Prasad Yadav) के लाल तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के इन दिनों वाकई अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं. वो कल तक राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की गतिविधियों से दूर रहा करते थे. अब तो उन्हें बैनर और पोस्टरों में भी जगह नहीं मिल रही है. बिहार (Bihar) के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री पहले काम तो अब नाम के भी मोहताज हो गए हैं.

एक तरफ छोटे भाई तेजस्वी (Tejashwi Yadav) लगातार बैठक कर रहे हैं तो दूसरी ओर तेजप्रताप को बैठक में शामिल करना तो दूर पार्टी के बैनरों-पोस्टरों में भी जगह नहीं मिल रही है. लेकिन इसे महज कोई संयोग नहीं माना जा सकता. राजनीति में इसे संयोग नहीं बल्कि सत्ता का संघर्ष कहते हैं. वैसे भी पहले से तेजस्वी को पार्टी और लालू का उत्तराधिकारी मान ही लिया गया है.

राजनीति की रेस में तेजस्वी अपने भाई तेजप्रताप से बहुत आगे निकल गए हैं लेकिन तेजप्रताप इस कदर पिछड़ जाएंगे या फिर इस कदर उन्हें पार्टी से दूर कर दिया जाएगा, ये किसी ने नहीं सोंचा था. शायद इसी को सियासत कहते हैं, जहां सत्ता के दो दावेदारों के बीच अगर संघर्ष होता है तो मजबूत दावेदार अपने प्रतिद्वंदी को कुचल कर आगे निकल जाता है.

पार्टी के बड़े नेता भी अब मजबूत दावेदार या यह कह लीजिए जिसे लालू ने अपना उत्तराधिकारी माना है उसी के साथ चलने को राजी हैं. जाहिर है जब पार्टी ने अपना नेता तेजस्वी को चुना है तो फिर तेजप्रताप के साथ खड़े होने को कौन तैयार होगा. ऐसे ही धीरे-धीरे तेजप्रताप पार्टी से दूर होते जा रहे हैं या यह कह लीजिए आउट ऑफ सीन होते जा रहे हैं. पार्टी का कोई कार्यक्रम हो, मिलन समारोह हो या फिर कोई भी बैठक. न इन कार्यक्रमों में तेजप्रताप शामिल होते हैं और न ही बैनर-पोस्टरों में उनकी कोई तस्वीर ही लगी रहती है.
 
इसी तरह के हालात लोकसभा चुनाव के दौरान भी थे. उस वक्त भी तेजस्वी पूरे चुनाव में तेजप्रताप को खुद से दूर रखते थे. और तो और हेलीकॉप्टर पर तेजस्वी के साथ चुनाव प्रचार करने के लिए तेजप्रताप तरस जाते थे. आज तेजप्रताप की इस हालत पर तरस आता है लेकिन विरोधी तेजप्रताप को अब भी उकसाने में लगे हैं.

विपक्ष या बीजेपी के तेज प्रेम में बड़ी सियासत छिपी है. बीजेपी को लगता है कि अगर तेजप्रताप कमजोर होते हैं तो उनके विरोधी तेजस्वी मजबूत होंगे और अगर तेजप्रताप की ताकत बढ़ती है तो फिर दोनों भाइयों में सत्ता के लिए टकरार चलती रहेगी. बीजेपी की जीत के लिए तेजप्रताप का मजबूत होना और सत्ता संघर्ष जारी रहना जरूरी है.

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