अफगानिस्तान पर बदलेगा स्टैंड?, यूएस-तालिबान वार्ता पर भारत की पैनी नजर

 नई दिल्ली 
दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत का दौर प्रगति में है। हालांकि, भारत के लिए यह खबर थोड़ी मुश्किल पैदा करनेवाली है और अब भारत को खुद तालिबान पर अपने स्टैंड की समीक्षा करनी होगी। तालिबान से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बातचीत महत्वपूर्ण तरीके से प्रगति की दिशा में है।   तालिबानी सूत्रों के हवाले से छपी खबरों के अनुसार, यूएस-तालिबान के बातचीत आगे बढ़ने की प्रमुख वजह मुल्ला अब्दुल गनी बरदार हैं। सूत्रों का कहना है कि बरदार को अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत के लिए प्रमुख मध्यस्थता करनेवाले के तौर पर नियुक्त किया गया है। रिपोर्ट्स की मानें तो बातचीत के दौरान किसी मुद्दे पर अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है। 

सूत्रों के अनुसार यह बातचीत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका की तरफ से नियुक्त पक्षकार जलमे खलीलजाद ने वार्ता में सीजफायर के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। अमेरिका के 18 महीने में सैनिकों को वापस बुलाने और तालिबान की तरफ से आतंकी संगठनों को सहायता नहीं देने का आश्वासन दिया गया है। तालिबान ने अलकायदा और आईएसआईएस जैसे संगठनों के साथ दूसरे वैश्विक आतंकी संगठनों को मदद नहीं देने का भरोसा दिया है। 

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