अपनों को आगे बढ़ाने की खातिर किया ई-टेंडर घोटाला! 2 सीनियर IAS अफसरों के खिलाफ चल रही है जांच

भोपाल
मध्य प्रदेश का बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाला (E-tender Scam) उस समय चर्चा में आया, जब ईओडब्ल्यू (EOW) ने अप्रैल में पहली एफआईआर दर्ज की थी. जांच के दौरान कई अफसरों और राजनेताओं के नाम भी सामने आए. ई-टेंडर से जुड़ी कई ऐसी शिकायत हैं, जिसकी जांच आज भी चल रही है. इनमें दो ऐसी शिकायतें भी हैं जो सीनियर आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल (IAS officer Vivek Agarwal) और राधेश्याम जुलानिया (Radheshyam Julania) से जुड़ी हैं. आरोप है कि इन अफसरों ने अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए उन कंपनियों को टेंडर देकर फायदा पहुंचाया, जहां इनके बच्चे उच्च पद पर नौकरी कर रहे हैं.

नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव रहे विवेक अग्रवाल के कार्यकाल में HPE कंपनी को 300 करोड़ का टेंडर मिला था. एचपीई कंपनी के अलावा बीएसएनएल ने 250 करोड़ का टेंडर डाला था, लेकिन एचपीई कंपनी के पास स्मार्ट सिटी बनाने का अनुभव नहीं होने के बावजूद उसे टेंडर मिल गया. इस टैंडर के मिलने से छह दिन पहले ही कोलकाता में एचपीई कंपनी और पीडब्ल्यूसी कंसलटेंट कंपनी के बीच एक साथ काम करने का करार हुआ था. पीडब्ल्यूसी कंसलटेंट कंपनी के सीनियर अधिकारी विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव हैं.
 
आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया पर जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव रहते हुए अपनी बेटी लावन्या जुलानिया से जुड़ी कंपनी मैक्स मेंटाना को ठेका देने का आरोप है. पिछले 7 साल में जुलानिया का अधिकांश समय जल संसाधन विभाग में बीता है. आरोप है कि जिस समय जुलानिया का विभाग हैदराबाद की कंपनी मैक्स मेंटाना को करोड़ों के ठेके दे रहा था, उसी दौरान जुलानिया की बेटी लावन्या जुलानिया ने हैदराबाद में इस कंपनी में महत्वपूर्ण पद पर नौकरी ज्वाइन की थी. फिलहाल ईओडब्ल्यू मैक्स मेंटाना कंपनी पर एफआईआर दर्ज कर चुकी है. कंपनी की भूमिका और विभाग से सांठगांठ को लेकर जांच भी चल रही है.

इस मामले पर मध्‍य प्रदेश के विधि मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि कोई भी अफसर या राजनेता हो, किसी को छोड़ा नहीं जाएगा. जबकि बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि सरकार बदनाम और मानहानि का काम कर रही है. यदि जांच में सबूत है, तो कार्रवाई की जाए. बीजेपी पहले भी ई-टेंडर को लेकर अपना पक्ष रख चुकी है. इन दो अफसरों के अलावा भी ई-टेंडर में दर्ज एफआईआर के आधार पर पांच विभाग घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसे में उन विभागों के जिम्मेदारों की भूमिका की भी जांच ईओडब्ल्यू कर रही है.

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