अन्ना के पत्रों का सरकार ने दिया टका सा जवाब, डॉक्टरों ने दी कम बोलने की सलाह

 
मुंबई 

एक तरफ अन्ना के अनशन में ग्रामवासियों की भागीदारी बढ़ रही है, तो दूसरी तरफ पीएमओ को भेजे गए पत्र के जवाब लिखकर आया है, 'आपका पत्र मिला, धन्यवाद और शुभकामनाएं'। शनिवार को आंदोलन को ग्रामवासियों ने समर्थन दिया। लोगों ने सड़क मार्ग रोककर ट्रैफिक जाम कर दिया। वहीं, कुछ लोग टावर पर चढ़ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।  
 
अन्ना के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे डॉक्टर धनंजय पोटे के अनुसार, शनिवार को उनके उपवास का चौथे दिन था। उनका वजन 3.4 किलोग्राम कम हो गया है। उन्होंने बताया, 'अन्ना का रक्तचाप बढ़ गया है।' उन्होंने अन्ना को कम से कम बात करने की सलाह दी है। केंद्र और महाराष्ट्र में लोकपाल, लोकायुक्त कानून बनाने तथा किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर अन्ना ने बुधवार से अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि गांव में अनशन शुरू किया है। 

आंदोलन के चौथे दिन ग्रामवासियों ने पालनेर-वाडेगव्हाण सड़क जाम कर आंदोलन को समर्थन दिया। गांव के लोगों का कहना है कि सरकार अन्ना की मांगों की अनदेखी कर रही है। रास्ता रोको आंदोलन में बड़ी संख्या में विद्यार्थी भी शामिल हुए। 

कुछ हुआ, तो पीएम जिम्मेदार 
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले 81 वर्षीय अन्ना ने पत्रकारों को बताया कि आंदोलन के दौरान उन्हें कुछ भी होता है, तो जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की होगी। अपनी मांगों को लेकर अन्ना ने कई बार केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखा, लेकिन उनकी मांगों की अनदेखी की गई। बताया जा रहा है कि पिछले 5 साल में अन्ना ने सरकार को 35 पत्र लिखे, जिनमें से सिर्फ दो पत्रों का जवाब ही सरकार ने दिया। 

हालांकि सरकार ने उनकी मांगों को मानने का वादा जरूर किया, लेकिन केंद्र सरकार ने किसी तरह का ठोस आश्वासन नहीं दिया। अन्ना के प्रवक्ता श्याम असावा के अनुसार, पुलिस ने महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों सहित कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। वहीं, पीएमओ को भेजे गए पत्रों के जवाब में लिखकर आया, 'आपका पत्र मिला, धन्यवाद और शुभकामनाएं।' 
 

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