अगर आपकी इश्योरेंस पॉलिसी मैच्योर होने वाली है तो सावधान ! ठगों की आप पर है नज़र
भोपाल
एमपी सायबर पुलिस ने एक ऐसे ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो इश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर लोगों को ठग रहा था. पुलिस के हाथ इस गिरोह के दो सदस्य लगे हैं. अभी तक की पूछताछ में करोड़ों रुपए की ठगी का पता चला है. इनके निशाने पर ख़ास तौर से सीनियर सिटीजन रहते थे. गिरोह का ठिकाना दिल्ली में है वहां से बैठकर ये देशभर में ठगी की वारदात को अंजाम दे रहा था.
एमपी सायबर पुलिस ने खुफिया सूचना के आधार पर दिल्ली में रहने वाले शशिकांत और सौरभ गोयल को पकड़ा. पूछताछ की तो इनके ठगी के देशभर में फैले इस रैकेट का खुलासा हो गया. शशिकांत ही उस गिरोह का सरगना है जो इंश्योरेंस पॉलिसी मैच्योर होने पर लोगों को ठग रहा था. शशिकांत मूल रूप से नागपुंडी चैन्नई का रहने वाला है.
ये ठग गिरोह इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर इंदौर के हरिकृष्ण शुक्ला से करीब 62 लाख, मैथ्यु से 39 लाख, भोपाल की सुजाता से 35 लाख, रामप्रताप से 11 लाख, जबलपुर के अनिल कुमार से 50 लाख, ग्वालियर के केतन दरबारी से 5 लाख और एक रिटायर्ड डॉक्टर से एक करोड़ 80 लाख की ठग चुके थे. जब शिकायतें पुलिस के पास पहुंचीं तो जांच के लिए एसआईटी बनायी गयी. उसने अपनी जांच के आधार पर दिल्ली से सौरभ गोयल को गिरफ्तार किया. उससे मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने गिरोह के सरगना शाशिकांत को भी दिल्ली से पकड़ा. शाशिकांत दिल्ली में ठगी के लिये कॉल सेंटर चला रहा था.इसी कॉल सेंटर से इंश्योरेंस पॉलिसी मैच्योर होने और पुरानी पॉलिसी को जीवित कर मोटी रकम दिलाने का लालच देकर ये लोगों को ठग रहा था. ये ख़ासतौर से सीनियर सिटीजन को ठगता था क्योंकि वो आसानी से इनके जाल में फंस जाते थे.
गिरोह बेहद शातिराना और प्लान्ड तरीके से अपना काम करता था. दिल्ली में कॉल सेंटर पता लगाता था कि किसकी इंश्योरेंस पॉलिसी मैच्योर हो रही है और पॉलिसी लेने वाले को पैसा मिलने वाला है. उसके बाद गिरोह हरक़त में आता था और पॉलिसी धारक को ये भरोसा दिलाता था कि वो इंश्योरेंस पॉलिसी मैच्योर होने पर उन्हें ज्यादा रकम दिलाएंगे. झांसा ये दिया जाता था कि पुरानी पॉलिसी को जीवित कर ज़्यादा पैसा दिलाया जाएगा. पॉलिसी धारक उनकी बातों में आ जाता था और फिर ये गिरोह उसका पैसा अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा लेता था.
गिरोह से मिली जानकारी के मुताबिक, इंश्योरेंस धारकों का डाटा पूर्व इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों, कर्मचारियों और कंपनियों के बिजनेस डेवलमेंट मैनेजरों के जरिए ये हासिल करते थे.शशिकांत ने अपने अन्य दो साथियों के साथ मिलकर ठगी के इसी काम के लिए वर्ष 2016 में कॉल सेंटर शुरू किया था.सौरभ गोयल अपनी मनी ट्रांसफर फर्म में पीओएस के माध्यम से ठगी की रकम को जमा कराने की सुविधा देता था. इनका रैकेट कितना बड़ा था ये इससे पता चलता है कि इंदौर के मैथ्यू को ठगने के लिए 63 मोबाइल फोन नंबर और 22 अकाउंट का इस्तेमाल किए गए थे. मैथ्यू से 39 लाख रुपए ठगे गए थे.
इस गिरोह के खुलासे के बाद सायबर पुलिस ने जनता के लिए एडवायजरी जारी की है. पुलिस ने कहा है जनता किसी के भी झांसे में ना आएं. अगर कोई फोन करके कहता है कि वो इंश्योरेंस कंपनी से बोल रहा है और पॉलिसी का पैसा या लोन उपलब्ध कराने या किसी और तरह के पैसे के लेन-देन का लालच देता है तो उस पर भरोसा ना करें. जिस कंपनी से फोन आया है उसके दफ़्तर पर जाकर असलियत पता करें. खासतौर से सीनियर सिटीजन्स को सावधान रखें. किसी भी अनजान शख़्स को अपने व्यक्तिगत काग़ज़ात,जानकारी और दस्तावेज ना दें.