अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में MBBS की 100 सीटें घटीं

रायपुर
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज को जीरो ईयर घोषित कर दिया गया है। एमसीआई की गवर्निंग बॉडी ने फैकल्टी और अन्य जरूरी सुविधाओं की कमी दूर नहीं कर पाने के कारण एमबीबीएस की 100 सीटों को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। अब चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे एमसीआई के निर्णय के खिलाफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास जाएंगे।
  
अंबिकापुर में 4 साल में दूसरी बार जीरो ईयर हो रहा है। जीरो ईयर का मतलब यह है कि नए सत्र में मेडिकल की पढ़ाई करने के इच्छुक सौ होनहार बच्चों का एडमिशन नहीं हो पाएगा।  सप्ताहभर पहले दुर्ग स्थित चंदूलाल चंद्राकर निजी मेडिकल कॉलेज को भी जीरो ईयर घोषित किया गया था। 
 
इस कॉलेज को लगातार दूसरे साल जीरो ईयर मिला है। यहां एमबीबीएस की 150 सीटें हैं। इस तरह से राज्य में मेडिकल की 250 सीटें कम हो गई हैं। इससे नीट परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए कट आफ बढ़ेगा। प्रदेश में छह सरकारी कॉलेजों में 650 और तीन निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की 450 सीटें यानी कुल 1100 सीटें हैं। अब एमबीबीएस की 850 सीटें बाकी रह गई हैं। इनमें रायपुर की 150 सीटों को स्थायी मान्यता मिल चुकी है। वहीं राजनांदगांव में 100, रायगढ़ में 50, बिलासपुर में 150 और जगदलपुर में 100 सीटों को मान्यता का इंतजार है। इन कॉलेजों की मान्यता के संबंध में सप्ताहभर में निर्णय होने की संभावना है। रिम्स और शंकराचार्य निजी मेडिकल कॉलेज को पहले ही मान्यता मिल चुकी है। मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर के डीन डॉ. विष्णु दत्त ने बताया कि 17 मई को  एमसीआई के अधिकारियों से मुलाकात हुई थी। इस बैठक में डीएमई डॉ. एसएल आदिले भी मौजूद थे। कॉलेज में फैकल्टी व सीनियर रेसीडेंट की कमी 20 फीसदी से कम थी। ऐसे में मान्यता नहीं मिलना आश्चर्यजनक है। 

शासन ने बिलासपुर, राजनांदगांव, रायगढ़ और  जगदलपुर मेडिकल कॉलेजों की अंडर टेकिंग ली है। 28 मई को स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक व डीएमई डॉ. एसएल आदिले ने एमसीआई के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें कॉलेज की कमियों को दूर कर लेने की बात बारीक ने कही। कई बार अंडर टेकिंग लेने के बाद मेडिकल कॉलेजों को मान्यता मिलती रही है। जबकि अंबिकापुर को अंडर टेकिंग के लिए बुलाया ही नहीं गया। अधिकारियों का दावा है कि मान्यता मिलने की पूरी उम्मीद थी। 

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