मां ने तीसरी बार किया गर्भधारण, ताकि गर्भनाल से बने स्टेम सेल्स से बेटे का हा़े सके इलाज

शिवपुरी 
शरीर में खून नहीं बनने से थेलेसीमिया बीमारी में मरीज को हर माह खून की जरूरत पड़ती है। कोलारस तहसील के ग्राम अटारा निवासी साढ़े तीन साल के रितिक धाकड़ को भी यह बीमारी है।
 
स्टेम सेल ही बीमारी का उपाय है। इसलिए अपने बेटे रितिक को नई जिंदगी देने के लिए मां मनीषा धाकड़ ने तीसरी बार गर्भधारण किया है। मनीषा दो या तीन दिन में ही दो जुड़वां बच्चों को भी जन्म देने जा रहीं हैं।

परिवार में दो और नए सदस्यों के आने के साथ रितिक को भी नया जीवन मिल जाएगा। ग्वालियर संभाग में थैलेसीमिया से मरीज की जान बचाने का संभवत: इस तरह का पहला मामला है। इसके लिए चार डॉक्टरों की टीम डिलेवरी के लिए पहले से तैयार है। स्टेम सेल के लिए किट भी मंगाई जा चुकी है। देश में स्टेम सेल रखने के लिए कई कंपनी खुल चुकी हैं। मनीषा के स्टेल सेल के लिए कॉड लाइफ स्टेम सेल्स बैंकिंग दिल्ली से करार हुआ है। जानकारी के मुताबिक कोलारस के अटारा निवासी साढ़े तीन साल के रितिक धाकड़ पुत्र महेंद्र सिंह धाकड़ जन्म से ही थेलेसीमिया से पीड़ित हैं।

रितिक के बाद डेढ़ साल बाद उसकी छोटी बहन शिवांगी धाकड़ (2 साल) का जिला अस्पताल में जन्म हुआ। बहन शिवांगी के पैदा होने के बाद पिता महेंद्र को पता चला कि रितिक की थेलेसीमिया बीमारी हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। बेटे रितिक के नए जीवन के लिए महेंद्र और पत्नी मनीषा धाकड़ ने अगले बच्चे को दुनिया में लाने की तैयारी की। वहीं, शिवपुरी में दो लोगों द्वारा स्टेम सेल सुरक्षित रखवाए गए हैं। भविष्य में किसी भी तरह की बीमारी की स्थिति बनी तो स्टेम सेल का उपयोग किया जा सकेगा।

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