अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘अतिरिक्त दबाव’ नहीं बल्कि ‘अतिरिक्त जिम्मेदारी’ होती है : विजय शंकर
साउथम्पटन
विजय शंकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बदलती परिस्थितियों को ‘अतिरिक्त दबाव’ के बजाय ‘अतिरिक्त जिम्मेदारी’ के रूप में देखते हैं और यही पहलू उन्हें टीम प्रबंधन द्वारा सौंपी गई किसी भी भूमिका को निभाने के काबिल बनाता है। शंकर से जब पूछा गया कि उन्हें छठे या सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए कुछ समस्या होती है क्योंकि उनके पास बड़ौदा के आल राउंडर हार्दिक पंड्या जैसे बड़े शाट नहीं है तो उन्होंने इससे इनकार किया। शंकर ने कहा कि परिस्थितयों की मांग को देखते हुए प्रदर्शन करने का दबाव हमेशा रहता है। इसलिये यह मायने नहीं रखता कि मैं कितना ताकतवर हूं क्योंकि मैं निचले व्रच्च्म में भी खेला हूं।
मुझे छठे या सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने का भी अनुभव है। उन्होंने कहा कि यह अतिरिक्त दबाव लेने की बात नहीं है। यह अतिरिक्त जिम्मेदारी है जिसमें टीम के लिये सही समय पर प्रदर्शन करना होता है। इतने बड़े टूर्नामेंट में दबाव तो होता ही है और पाकिस्तान के खिलाफ शानदार प्रदर्शन से उन्हें थोड़ा दबाव कम करने में मदद मिली तो उन्होंने कहा कि हां, निश्चित रूप से। इससे किसी भी खिलाड़ी का आत्मविश्वास बढ़ेगा क्योंकि किसी भी खिलाड़ी को इसी की जरूरत होती है। पिछले मैच ने मेरा मनोबल बढ़ाया और विशेषकर पाकिस्तान के खिलाफ और वो भी उनके खिलाफ मेरे पदार्पण में। शंकर ने कहा कि यह मेरे लिये बहुत विशेष चीज थी, दबाव में प्रदर्शन करना और वो भी अच्छा। और अंत में टीम का जीतना अहम होता है। इससे सचमुच काफी खुशी हुई।