UP: आधे कोरोना मरीज ठीक, लखनऊ अव्वल

लखनऊ
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यूपी से अच्छी खबर है। राज्य में कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। अब तक यूपी में 50 फीसदी से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज ठीक हो चुके हैं। मंगलवार को अस्पतालों से डिस्चार्ज होने वालों की कुल संख्या संक्रमण की वजह से भर्ती हुए मरीजों से ज्यादा हो गई। मंगलवार शाम तक के आंकड़ों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अब तक यूपी में 1,873 मरीज संक्रमण से लड़ते हुए ठीक हो चुके हैं, जबकि भर्ती मरीजों की संख्या 1,709 है।

​कोरोना को मात देने में लखनऊ सबसे आगे
ताजा आंकड़ों के बाद यूपी में अब 50 फीसदी से ज्यादा कोरोना पीड़ित मरीज अस्पताल से छुट्टी पा चुके हैं। राज्य में कोरोना के कुल 3,664 केस सामने आ चुके हैं। वायरस से अब तक 82 मौतें हो चुकी हैं। ठीक होने वाले मरीजों के प्रतिशत की बात करें तो लखनऊ अव्वल है। मंगलवार तक यहां कोरोना के कुल 249 केस पता चल चुके थे। इनमें से 211 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। यानी लखनऊ में ठीक होने वाले मरीजों का आंकड़ा 84.73 फीसदी है। यहां ऐक्टिव केस की संख्या 37 है।

​नोएडा में अब तक 141 मरीज ठीक
मंगलवार को यूपी में 112 नए केस सामने आए। कोरोना हॉटस्पॉट आगरा में सबसे ज्यादा 24 केस पता चले। यहां कोरोना के कुल केस 794 पहुंच गए। वहीं ऐक्टिव मरीजों की संख्या 444 है। यहां 326 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। दूसरे नंबर पर मेरठ रहा जहां 14 नए केस पता चले। मेरठ में कोरोना ऐक्टिव मामलों की संख्या 183 है। मेरठ में 70 मरीज ठीक हो चुके हैं। वहीं, 14 मरीजों को जान गंवानी पड़ी है। इसके अलावा गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में 7 नए मामलों के साथ अब तक 235 केस सामने आए हैं। इनमें से 141 मरीज ठीक हो चुके हैं।

चंदौली कैसे बना अभेद्य दुर्ग
यूपी के कुल 74 जिलों में कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं। सिर्फ बिहार और वाराणसी सीमा से सटा नक्सल प्रभावित चंदौली ही इकलौता जिला है, जो कोरोना के लिए अभेद्य दुर्ग बना हुआ है। इस जिले में अब तक एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं पाया गया है। चंदौली के डीएम नवनीत सिंह चहल बताते हैं कि लॉकडाउन की शुरुआत के साथ ही दूसरे जिलों और राज्यों से आए लोगों पर चौकसी रखने के लिए विशेष निगरानी टीमें बनाई गईं।

डीएम ने अपनाया यह फॉर्म्युला
चंदौली में बाहर से आए करीब 5,000 लोग थे, जिन्हें होम क्वारंटीन कर संदिग्धों की श्रेणी में रखा गया था। इन्हें दूर से ही पहचाना जा सके, इसके लिए इनके हाथ पर मुहर लगा दी गई। जैसे ही वे घर से बाहर निकलते थे तो पड़ोसी ही उनके बारे में सूचना दे देते थे। इसके अलावा ग्राम रोजगार सेवकों, ग्राम सचिवों, शिक्षामित्रों को सेक्टर और जोनवार तैनात कर होम क्वारंटीन वाले हर 5-6 लोगों पर एक सरकारी व्यक्ति को निगरानी में लगा दिया गया।

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