UN पहुंचे पाकिस्तान के PM इमरान ,कश्मीर पर भारत के खिलाफ

इस्लामाबाद
भले ही पाकिस्तान खुद कोरोना वायरस की महामारी, टिड्डों के हमले, आतंकवाद और आर्थिक संकट से जूझ रहा है, उसके प्रधानमंत्री इमरान खान को अपने देश से ज्यादा भारत की चिंता है। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान को अमेरिका और FATF ने आतंकवाद पर नकेल कसने में नाकामयाब होने पर आड़े हाथों लिया था। इसके बावजूद इमरान भारत पर आरोप लगा रहे हैं कि यहां जम्मू-कश्मीर के लोगों को निवास प्रमाणपत्र जारी कर भारत में उनके अधिकार छीनने की कोशिश की जा रही है।
'कश्मीर को बदलने की कोशश कर रहा भारत'
इमरान ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, 'पहले भारत ने भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर (IOJK) पर अवैध कब्जा करने की कोशिश की और अब IOJK के जनसांख्यिकीय ढांचे में 25 हजार भारतीयों को निवास प्रमाण पत्र जारी कर बदलाव करने की कोशिश कर रहा है, जो अवैध है और संयुक्त राष्ट्र के रेजॉलूशन, अंतरराष्ट्रीय कानून और चौथे जेनेवा कन्वेन्शन का उल्लंघन है।'

'कश्मीरी लोगों के अधिकारों को छीना जा रहा है'
इमरान ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से बात की है और दूसरे वर्ल्ड लीडर्स से भी बात कर रहे हैं। इमरान ने कहा, 'भारत को इस रास्ते पर आगे बढ़ने से रुकना चाहिए जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता, इससे कश्मीरी लोगों के अधिकारों को छीना जा रहा है जो उन्होंने कानूनी रूप से और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य तरीके से हासिल हैं। इससे दक्षिण एशिया में शांति और सिक्यॉरिटी पर भी खतरा होता है।'

'पाकिस्तान में खुले घूमते हैं आतंकी'
अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म' में साल 2019 में पाकिस्तान की भूमिका पर खरी-खरी कही गई है। इसमें कहा गया है कि भारत को निशाना बना रहे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को पाकिस्तान ने अपनी जमीन से ऑपरेट करने दिया। पाकिस्तान ने जैश के संस्थापक और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किए जा चुके मसूद अजहर और 2008 के मुंबई धमाकों के 'प्रॉजेक्ट मैनेजर' साजिद मीर जैसे किसी आतंकी के खिलाफ ऐक्शन नहीं लिया। ये दोनों कथित रूप से पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं।

कश्मीर में दिए जा रहे हैं प्रमाणपत्र
बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को कई वर्गों के लोगों के बीच निवास प्रमाण-पत्र वितरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। निवास प्रमाण पत्र लेने वालों में पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थी, वाल्मीकि समाज जैसे दलित वर्ग के लोग, गोरखा समुदाय के लोग और आरएस पुरा, बिश्नाह, बाहू, जम्मू दक्षिण आदि क्षेत्र के लोग शामिल हैं। इसके अलावा, राहत और पुनर्वास आयुक्तालय के साथ पंजीकृत सभी प्रवासियों और उनके बच्चों को अधिवास प्रमाण पत्र दिया जाएगा। व्यवसाय या अन्य व्यावसायिक कारणों से रोजगार के सिलसिले में केंद्र शासित प्रदेश से बाहर रहने वाले जम्मू-कश्मीर के निवासियों के बच्चे अधिवास प्रमाण पत्र पाने के पात्र हैं।

इन सभी लोगों को मिल सकें सर्टिफिकेट
निवास नियमों के तहत, वे सभी व्यक्ति और उनके बच्चे जो जम्मू-कश्मीर में 15 साल से रह रहे हैं या जिन्होंने सात साल तक अध्ययन किया है और केंद्र शासित प्रदेश के किसी शैक्षणिक संस्थान में कक्षा 10 या 12 की परीक्षा में उपस्थित हुए हैं, अधिवास प्रमाण पत्र के पात्र हैं। केंद्र सरकार के अधिकारियों के बच्चे, अखिल भारतीय सेवाओं के सभी अधिकारी, सार्वजनिक उपक्रम के अधिकारी और केंद्र सरकार के स्वायत्त निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, वैधानिक निकाय के अधिकारी, केंद्रीय विश्वविद्यालय और केंद्र के मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में 10 वर्षों की कुल अवधि तक सेवा की है, वे सभी केंद्र शासित प्रदेश में अधिवास के पात्र होंगे।

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