SBI कार्ड के IPO की दूसरे दिन भी बल्ले-बल्ले

नई दिल्ली
एसबीआई कार्ड के IPO को लगातार दूसरे दिन भी निवेशकों की शानदार प्रतिक्रिया मिली है। मंगलवार को SBI Card का IPO 87.55% सब्सक्राइब हुआ। कुल 10,02,79,411 शेयरों के मुकाबले 8,75,37,978 शेयरों के लिए बोलियां मिलीं। क्वालिफाइड इंस्टिट्यूशनल बायर्स के लिए रिजर्व कोटा 21% सब्सक्राइब हुआ, जबकि नॉन-इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स के लिए निर्धारित कोटा 47% सब्सक्राइब हुआ। रिटेल सेगमेंट 121%, जबकि एसबीआई के कर्मचारियों का कोटा 184% सब्सक्राइब हुआ।

इस आईपीओ के लिए प्राइस रेंज 750-755 रुपये के बीच रखा गया है। इस आईपीओ में निवेश के लिए ग्राहक को कम से कम एक लॉट के लिए बोली लगानी है, जिसमें 19 शेयर हैं और इसकी कीमत 14,345 रुपये रखी गई है। कंपनी एंकर इन्वेस्टर्स से 2,769 करोड़ रुपये जुटा चुकी है, जिसमें 12 म्यूचुअल फंड्स भी शामिल हैं।

लिस्टेड तथा अनलिस्टेड मार्केट्स पर नजर रखने वाले विश्लेषकों एवं बैंकर्स के मुताबिक, निवेश के लिहाज से इस आईपीओ में फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है, हालांकि छोटे निवेशकों को इस मेगा आईपीओ में इन्वेस्टमेंट से पहले इसकी खूबियों और खामियों से अवगत होना जरूरी है।

आईपीओ की अहम खूबियां
इस आईपीओ की सबसे बड़ी खूबी इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की हिस्सेदारी है। इसके अलावा, एसबीआई का ब्रैंड भी अपने आप में बेहद दमदार है। एसबीआई कार्ड का क्रेडिट कार्ड टू डेबिट कार्ड रेशियो 3.7% है, जबकि एचडीएफसी बैंक के लिए यह आंकड़ा 45%, एक्सिस बैंक का 28% तथा आईसीआईसीआई बैंक का 18% है।

इसके अलावा, मजबूत डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के कारण ब्रोकरेज कंपनियों का मानना है कि इसमें बेहतर प्रीमियम मिलने की जो उम्मीद की जा रही है, वह न्यायोचित है। विश्लेषकों का कहना है कि एसबीआई कार्ड का RoE पिछले छह से सात साल में कभी 25% से नीचे नहीं गया और इस दौरान यह औसत ROE 30% रहा है।

एसबीआई क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है, जिसका कर्ज वित्त वर्ष 2017-19 में 34% की दर से बढ़ा है, जबकि एनपीए 2.3-2.4% है, जो इंडस्ट्री के औसत से अधिक है। लेकिन इस अनसिक्यॉर्ड बिजनस में इतना कम एनपीए रेट सराहनीय है।

आईपीओ का क्या है जोखिम?
क्रेडिट कार्ड बिजनस में आमदनी के दो स्रोत हैं, पहला फी इनकम और दूसरा इंट्रेस्ट इनकम। इंट्रेस्ट इनकम लाइन ऑफ क्रेडिट होता है, जो इंडस्ट्री को 30-42% का ऐनुअल परसेंटेज रेट (APR) देता है। वहीं, फी इनकम में शुल्क न केवल ग्राहक से बल्कि उन मर्चैंट से भी वसूले जाते हैं, जिनके यहां से क्रेडिट कार्ड से खरीदारी की जाती है।

भारत में मर्चैंट डिस्काउंट रेट (MDR) 1.6-2.5% के बीच है, जबकि डेबिट कार्ड के एमडीआर को सरकार का नियंत्रित करती है। क्रेडिट कार्ड के एमडीआर पर अभी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। क्रेडिट कार्डधारकों से 30% सालाना से ज्यादा इंट्रेस्ट चार्ज करने को लेकर नैशनल कंज्यूमर डेस्प्यूट्स रिजॉल्यूशन रिड्रेसल कमिशन के एक फैसले के खिलाफ एसबीआई कार्ड ने सुप्रीम कोर्ड में एक अपील दायर कर रखी है।

सुप्रीम कोर्ट में मामला
यस सिक्यॉरिटीज का कहना है, 'अगर सुप्रीम कोर्ट नैशनल कमिशन के आदेश को बरकरार रखता है तो इसका एसबीआई कार्ड की आमदनी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उच्चतम न्यायालय के फैसले का असर केवल एसबीआई कार्ड तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि पूरी इंडस्ट्री में सालाना इंट्रेस्ट की एक सीमा तय हो जाएगी, जिससे इंडस्ट्री की आमदनी प्रभावित होगी।'

एमडीआर की सीमा तय करने का रिस्क
ब्रोकरेज कंपनियों का कहना है कि इसके अलावा, एमडीआर या इंटरचेंज फीस की ऊपरी सीमा तय करने का रिस्क, डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, पूंजी की बढ़ती जरूरत कंपनी के लिए बड़ा जोखिम है। प्रभुदास लीलाधर कहते हैं कि एसबीआई कार्ड का एनपीए 2.5-2.6% है, जबकि इंडस्ट्री का औसत 1% है। इससे एसबीआई कार्ड का क्रेडिट कॉस्ट 0.4% के ऊपरी स्तर पर रहेगा। ब्रोकरेज का कहना है, 'टीयर-2 तथा टीयर-3 शहरों में उपस्थित में वृद्धि, सेल्फ एंप्लॉइड कस्टमर बेस तथा प्रतिस्पर्धा अहम जोखिमों में से हैं।'

एमकाई के मुताबिक, अर्थव्यवस्था में कमजोरी तथा रोजगार के ट्रेंड के मद्देनजर, असेट क्वालिटी रिस्क भी बढ़ रहा है और इसलिए कंपनी को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

क्या कहते हैं विश्लेषक?
आईसीआईसीआई डायरेक्ट का कहना है कि बिजनस ग्रोथ की बढ़ती संभावना तथा मजबूत रिटर्न रेशियो से प्रीमियम मिलने की पूरी गुंजाइश है।

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