NRC: 31 अगस्त के बाद असम में ‘विदेशी’ हो गए रिश्ते, मां-पत्नी लिस्ट से बाहर

 
गुवाहाटी 

असम में जारी एनआरसी लिस्ट ने सालों से इस राज्य में रह रहे लाखों लोगों के लिए पहचान का संकट पैदा कर दिया है. 32 साल के अब्दुल समद चौधरी उन 19 लाख लोगों में से हैं जिनका नाम 31 अगस्त को जारी एनआरसी की फाइनल लिस्ट में नहीं है. 32 साल के अब्दुल समद चौधरी असम के मुस्लिम नेता बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के लीडर हैं. अब्दुल समद चौधरी ने कहा कि उनका नाम अंतिम एनआरसी से हटाया गया है.

अब्दुल समद चौधरी के दादा ब्रिटिश आर्मी में सैनिक थे, लेकिन आजादी की लड़ाई के दौरान वे अंग्रेजों से लड़े थे. दुखी मन से समद कहते हैं कि उनकी मां और उनकी एक बहन का नाम तो लिस्ट में है लेकिन उनका, उनकी दो बहनों का और उनके एक भाई नाम इस लिस्ट से बाहर है. 
 
अब्दुल समद चौधरी ने कहा, "मेरे पिता स्कूल शिक्षक थे और 1966 में दसवीं पास की थी, मेरे पास पिता से जुड़े दस्तावेज हैं, 1951-52 के जमीन के कागज हैं जो मेरे दादा के हैं, दादा का पासपोर्ट भी मेरे पास है. इन सभी दस्तावेजों को देने के बावजूद फाइनल लिस्ट में मेरा नाम नहीं आया."

अब्दुल समद जैसी ही कहानी 62 साल के जमाल हुसैन की है. जमाल डाक विभाग से रिटायर हो चुके हैं, लेकिन एनआरसी में उनका नाम नहीं है. असम के कामरूप जिले के गरियागांव के रहने वाले जमाल हुसैन ने कहा, "मैं दो बार इस प्रक्रिया में शामिल हुआ, लेकिन मेरा नाम लिस्ट में नहीं है, जबकि मेरी पत्नी का नाम, मेरे भाई का नाम इसमें है, मैं तो डाक विभाग में भी काम कर चुका हूं."

NRC की अंतिम सूची में नाम न बना पाने वालों में मुस्लिम समाज के अलावा हिन्दू भी शामिल हैं. गुवाहाटी के लाल गणेश इलाके के स्वपन दास व्यवसायी हैं. NRC ने उनके घर में कोहराम मचा दिया है. स्वपन दास ने कहा, "मेरे परिवार में 5 सदस्य हैं. फाइनल लिस्ट में 5 लोगों के नाम आए लेकिन मेरी मां का नाम इस सूची से गायब है. क्या मेरी मां विदेशी है? ये क्या है कि मैं तो भारतीय हूं और मेरी मां विदेशी है."

लाल गणेश के रहने वाले बिपिन मंडल अजीब सी परेशानी से जूझ रहे हैं, बिपिन मंडल के परिवार में 6 लोग हैं, पति-पत्नी, बेटा, उसकी पत्नी और उनके दो बच्चे. लिस्ट में सभी का नाम तो है लेकिन बिपिन मंडल की पत्नी 31 अगस्त के बाद विदेशी बन गई हैं. फिलहाल इन सभी परिवारों को सरकार से मदद की आस है. लेकिन एक अनजाना भय भी इन्हें सता रहा है.

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