MP में महिलाओं पर भरोसा कम, 82 में से सिर्फ 2 महिलाएं

इंदौर 
आधी आबादी को साधने पार्टियां वादे और दावे तो बड़े-बड़े करती हैं. लेकिन जब बात उन्हें प्रतिनिधित्व देने की आती है तो हाथ पीछे खींच लेती हैं.संसद में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का मुद्दा भी हर चुनाव में उठता है लेकिन इसे उठाने वाली पार्टियां खुद ही महिलाओं को टिकट देने में हिचकिचाती हैं.

लोकसभा के रण में एमपी की बची 8 सीटों पर 76 पुरुषों के सामने सिर्फ 6 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. इसमें धार, देवास तो ऐसी सीटें हैं जहां एक भी महिला उम्मीदवार मैदान में नहीं है.वहीं 9 बार से ताई के कब्जे में रही इंदौर सीट पर भी इस बार किसी महिला को टिकट देने के बजाए शंकर लालवानी को बीजेपी ने मैदान में उतारा है.

सभी पार्टियों का मेनिफेस्टो हो या चुनावी दौर के भाषण.महिलाओं को साधने खूब बातें तो होती हैं लेकिन जब बात उनके हक की होती है तो वो भुला दी जाती है.19 का लोकसभा चुनाव बानगी है इसका.एमपी में मालवा की 8 सीटों पर आज मतदान है. इसमें 82 प्रत्याशी मैदान में हैं लेकिन इन 82 में सिर्फ 6 महिला उम्मीदवार हैं.

8 में से सिर्फ 1 मंदसौर सीट ऐसी है जहां कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार मीनाक्षी नटराजन को टिकट दिया है. बीजेपी ने तो सुमित्रा महाजन का टिकट काटकर उनकी परंपरागत सीट इंदौर से भी पुरुष को उतार दिया है. इंदौर के रण में 20 उम्मीदवारों में सिर्फ एक महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में है. धार, देवास, रतलाम और उज्जैन में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं है. खंडवा, इंदौर में 1-1 महिला उम्मीदवार तो खरगोन और मंदसौर में 2-2 महिलाएं मैदान में हैं.

अपने आप को महिला हितैषी बताने वाली कांग्रेस का कहना है कि पार्टी ने हमेशा महिलाओं को सम्मान और पद दिया है.वहीं बीजेपी का साफ कहना है कि जो काबिल होगा उसे टिकट जाएगा.अगर इन सीटों के पैनल में ही महिलाओं के नाम नहीं तो कैसे उन्हें टिकट दिया जाए.

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