MLA कृष्णानंद मर्डर केस: कोर्ट बोला-गवाह नहीं मुकरते तो फैसला कुछ और ही होता

 
नई दिल्ली/लखनऊ 

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या के मामले में दिल्ली की अदालत ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और उनके सांसद भाई अफजाल अंसारी समेत सभी आरोपितों को बरी कर दिया। करीब छह साल तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि गवाह मुकरे न होते तो परिणाम कुछ और होता। 
फैसले में जज ने क्या कहा? 
स्पेशल जज अरुण भारद्वाज ने इस मामले को भयानक करार दिया। उन्होंने फैसले में लिखा कि इस केस की जांच यूपी पुलिस से लेकर सीबीआई को दी गई थी। कृष्णानंद की पत्नी अलका राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में केस गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था। लेकिन दुर्भाग्य से गवाहों के मुकर जाने से यह मामला भी अभियोजन की नाकामी का उदाहरण बन गया। यदि गवाहों को ट्रायल के दौरान विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 का लाभ मिलता तो नतीजा कुछ और हो सकता था। 
 
मुख्तार अंसारी था मुख्य आरोपी 
पुलिस और सीबीआई ने इस मामले में अंसारी बंधुओं के अलावा संजीव माहेश्वरी जीवा, मुन्ना बजरंगी, एजाज, अता उर रहमान, फिरदौस, राकेश पाण्डेय, रामू मल्लाह, विश्वास नेपाली, जफर, अफरोज खान और मंसूर अंसारी के खिलाफ छह अलग-अलग चार्जशीट दायर की थीं। फिरदौस की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई। मुन्ना बजरंगी की नौ जुलाई, 2018 को बागपत जेल में हत्या कर दी गई। विश्वास नेपाली और जफर आज तक पकड़े नहीं गए हैं, जबकि अफरोज उर्फ चुन्नू पहलवान के खिलाफ यह केस बंद किया जा चुका है। इसके बाद अंसारी बंधुओं के साथ ही संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा, एजाज-उल-हक, राकेश पांडेय, रामू मल्लाह और मंसूर अंसारी के खिलाफ केस चला। इस मामले में तत्कालीन सरकारी वकील राजेंद्र शर्मा ने बताया कि एफआईआर में अफजाल व मुख्तार को 120बी का मुलजिम बनाया गया था। 

2005 में गाजीपुर में हुई थी हत्या 
कृष्णानंद राय गाजीपुर के मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के तहत गोंडूर गांव के रहने वाले थे। उन्होंने वर्ष 2002 में हुए चुनाव में मोहम्मदाबाद सीट पर मुख्तार के भाई अफजाल को हराकर अंसारी बंधुओं के वर्चस्व को चुनौती दी थी। यहीं से दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की शुरुआत हुई। 13 जनवरी, 2004 को मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच पहली मुठभेड़ लखनऊ के कैंट इलाके में हुई। इसके बाद राय को अंसारी बंधुओं से अपनी जान का डर सताने लगा। उन्होंने यूपी सरकार से अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की, लेकिन तब इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया। नतीजा 29 नवंबर, 2005 को गाजीपुर में राय की हत्या हो गई। इस घटना में छह और लोग मारे गए थे। अभियोजन ने अपना केस साबित करने के लिए 53 गवाह पेश किए थे। 

'फैसले के खिलाफ अपील करवाएं सीएम' 
पूर्व डीएसपी शैलेंद्र कुमार सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करवाएं। शैलेंद्र का कहना है कि उन्होंने वर्ष 2004 में सेना के भगोड़े से एलएमजी पकड़ी थी। यह एलएमजी मुख्तार अंसारी ने कृष्णानंद राय की हत्या के लिए मंगाई थी। इस संबंध में एक रेकॉर्डिंग भी है, जिसमें मुख्तार ने राय की हत्या के लिए एलएमजी मंगाने की बात कही थी। यह रेकॉर्डिंग शासन की अनुमति से की गई थी इसलिए यह साक्ष्य के रूप में कोर्ट में मान्य है। 
 

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