Kumbh 2019: संगम की रेती पर तंबुओं के शहर में आध्यात्म की बयार

 
प्रयागराज

तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले के दौरान गंगा,यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम के विस्तीर्ण रेती पर बसे तंबुओं के अस्थाई शहर मेले में आस्था और श्रद्धा के साथ आध्यात्म की बयार भी बह रही है। मेले में विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और विविधताओं का संगम भी देखने को मिल रहा है। देश के कोने कोने से लाखों श्रद्धालु पतित पावनी संगम में स्नान कर खुद को धन्य मानते हैं।

प्राचीन परंपराओं के साथ आधुनिकता के रंगबिरंगे नजारे भी चारों ओर दिखाई पड़ रहे हैं। प्राचीन काल से संगम तट पर जुटने वाले कुंभ मेले की जीवंतता में दिनों दिन नवीनता ही दर्ज की गई है। रेती पर बसने वाले आस्था की नगरी में रात में टिमटिमाते हजारों बल्वों के नजारे को देखकर ऐसा लगता है मानों करोड़ों सितारे ब्रह्मांड से उतरकर धरती पर आ गए हों। इस सतरंगी मेले में एक तरफ जहां आध्यात्म की बयार बह रही है वहीं दूसरी तरफ धनोपार्जन का भी कारोबार हो रहा है। मेला क्षेत्र के आसपास बच्चों के झूले, खिलौने और अन्य घरेलू सामानों की बिक्री हो रही है। गंगा में स्नान कर वापस लौट रहे श्रद्धालु गृहस्थी के सामान भी यहां से खरीद कर साथ ले जा रहे हैं। 

मेला प्रशासन के साफ सफाई के बावजूद पड़ी गंदगी को दरकिनार कर श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाने के लिए उतावले दिखलाई पड़ रहे हैं। कड़ाके की ठंड और शीतलहरी पर आस्था भारी पड़ रही है। मेले में दूसरे राज्यों से आई कुछ बच्चियां और महिलायें गोद में धोती से दुध मुंहे बच्चों को बांधकर, थाली में संतोषी, दुर्गा और वैष्णवी की फोटो लेकर घूम-घूम कर भीक्षाटन करती नजर आ रही हैं तो दूसरी तरफ गले में सांप डाले और मृग छाल लपेटे भोले शंकर, काली और हनुमान का मुखौटा लगाकर मेला क्षेत्र में चक्रमण करते नजर आते हैं। 

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