ICICI लोन केस: चंदा कोचर जांच रिपोर्ट में दोषी पाई गईं, कहा- एकतरफा नहीं दिए लोन

 
नई दिल्ली     
            
आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट आ गई है. समिति ने अपनी जांच में पाया कि वीडियोकोन को कर्ज देने के मामले में कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया है. कोचर की स्वीकृति पर इस कर्ज का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक की मालिकाना हक वाली कंपनी को दिया गया.

जांच की रिपोर्ट आने के बाद बैंक बोर्ड के निदेशकों ने आईसीआईसीआई से कोचर के अलग होने को बैंक की नीतियों के तहत उन्हें 'कंपनी से हटाया जाना' माना है. इस कार्रवाई के तहत कोचर के मौजूदा और आगे के सभी पेमेंट की राशि, बोनस, इंक्रीमेंट और स्टॉक से वंचित कर दिया गया.

बैंक का फैसला आने के बाद चंदा कोचर ने अपना बयान जारी किया है. उन्होंने कहा, 'मैं फैसले से काफी निराश और हैरान हूं. मुझे रिपोर्ट की कोई कॉपी भी नहीं दी गई. मैं दोहराना चाहती हूं कि कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं है. आईसीआईसीआई ऐसी संस्था है जिसकी मजबूत प्रक्रियाएं और प्रणालियां हैं. इसमें सामूहिक फैसले लिए जाते हैं और निर्णय लेने में कई उच्च क्षमता वाले पेशेवरों की भागीदारी होती है. इसलिए इस संस्थान की बनावट और संरचना ऐसी है कि हितों के टकराव की संभावना है ही नहीं.'

चंदा कोचर ने आगे कहा, 'मैंने पिछले 34 साल में कठिन मेहनत और समर्पण के साथ आईसीआईसीआई की सेवा की है. संगठन के हित में कभी जरूरत पड़ी तो कड़े फैसले लेने में कभी नहीं हिचकी. बैंक के इस फैसले ने काफी दुख दिया है. मैंने ईमानदारी और गरिमा के साथ एक स्वतंत्र पेशेवर के तौर पर अपना करियर शुरू किया. मुझे अपने पेशे में पूर्ण विश्वास है और भरोसा है कि एक न एक दिन सच की जीत होगी.'

इससे पहले 24 जनवरी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने वीडियोकॉन ग्रुप और आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े 3,250 करोड़ रुपए के कर्ज मामले में चार कंपनियों के अलावा, चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और उद्योगपति वी.एन. धूत के खिलाफ मामला दर्ज किया. सीबीआई की एफआईआर में चंदा कोचर के 1 मई 2009 में पदभार संभालने के बाद से अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है. सीबीआई की एफआईआर में नूपावर रिन्यूबल्स प्राइवेट लिमिटेड (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिडेट (एसईपीएल), वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईली) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीईएल) को नामजद किया गया है.

'आपराधिक साजिश के तहत आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए अन्य आरोपियों के साथ मिलकर निजी कंपनियों को कर्ज जारी' करने के आरोप में आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

सीबीआई के एफआईआर के मुताबिक, "कर्ज गैर निष्पादित संपत्ति में बदल गए, जिस वजह से आईसीआईसी बैंक को गलत तरीके से हानि हुई और आरोपी/ऋण प्राप्तकर्ता को गलत तरीक से ऋण की प्राप्ति हुई. इसके अलावा ऋण स्वीकृति समिति में शामिल आईसीआईसीआई बैंके के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी जांच हो सकती है."

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