ICAR का दावा- मिल गया वो पौधा जिसका रस तोड़ता है वायरस की कमर, हर्बल से दूर भागेगा कोरोना?

  नई दिल्‍ली
भारतीय वैज्ञानिकों ने कुछ हर्बल पौधों में ऐसे कम्‍पाउंड पाए हैं जिनसे कोरोना वायरस का इलाज किया जा सकता है। यह दावा हिसार के नैशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्‍वॉइन्‍स (NRCE) के वैज्ञानिकों का है। NRCE इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्‍चरल रिसर्च (ICAR) के तहत आने वाला संस्‍थान है।' ICAR ने शुक्रवार को इस रिसर्च की फाइंडिग्‍स पर फॉर्मल नोट जारी किया। इससे वैज्ञानिकों के लिए कोविड-19 मरीजों के इलाज का कोई रास्‍ता निकल सकता है।

NRCE के डिप्‍टी डायरेक्‍टर जनरल (एनिमल साइंस) बीएन त्रिपाठी ने टीओआई को बताया कि 'यह ऐसी लीड है जिसने NRCE के साइंटिस्‍ट्स को कई वायरस के खिलाफ अच्‍छे नतीजे दिए हैं। हालांकि उन्‍होंने उन पौधों के बारे में इस वक्‍त बताने से मना कर दिया। त्रिपाठी ने कहा, 'इस वक्‍त मैं यही बता सकता हूं कि वे हर्बल प्‍लांट्स फिलहाल देश में कई आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में इस्‍तेमाल हो रहे हैं।'
 
पूरी दुनिया इस वक्त इंतजार कर रही है कोरोना वायरस की वैक्‍सीन तैयार होने का। जिस तरह से इतने बड़े पैमाने पर अलग-अलग देश वैक्‍सीन के ट्रायल में जुटे हैं, दुनिया के किसी कोने से जल्‍द खुशखबरी आ सकती है। भारत की चार वैक्‍सीन भी शुरुआती नतीजों में शानदार साबित हुई हैं और एडवांस्‍ड स्‍टेज में हैं। इसके अलावा अमेरिका और चीन की वैक्‍सीन भी प्रॉमिसिंग रिजल्‍ट दे रही हैं। आइए जानते हैं कोविड-19 वैक्‍सीन डेवलपमेंट से जुड़े टॉप 10 अपडेट्स।  

कोरोना वायरस के शुरुआती मॉडल पर बेस्‍ड है रिसर्च
नोट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के समय आपात स्थिति को देखते हुए ICAR-NRCE हिसार के वैज्ञानिकों ने कुछ नैचरल प्रॉडक्‍ट्स के असर का आंकलन किया। ये प्रॉडक्‍ट्स इंसानी इस्‍तेमाल के लिए सुरक्षित हैं और आमतौर पर खांसी-बुखार ठीक करने में यूज होते हैं। साइंटिस्‍ट्स ने चिकन कोरोना वायरस के इन्‍फेक्‍शन मॉडल का स्‍टडी में इस्‍तेमाल किया ताकि कुछ हर्बल पौधों के एंटीवायरल इफेक्‍ट को जांचा जा सके। चिकन कोरोना वायरस वो पहला कोरोना वायरस था जिसे 1930 में पहचाना गया। यह पॉउल्‍ट्री में गंभीर इन्‍फेक्‍शन पैदा करता है।
 
मुर्गियों पर दिखा पॉजिटिव असर
ICAR का नोट कहता है, 'प्रीलिम्‍नरी स्‍टडी में एक नैचरल प्रॉडक्‍ट (VTC-antiC1) ने IBV कोरोना वायरस के खिलाफ अच्‍छे नतीजे दिए हैं।' इसमें कहा गया कि गंभीर IBV इन्‍फेक्‍शन से मुर्गियों के भ्रूण को बचाने में वह दवा सफल रही। इस प्रॉडक्‍ट ने कुछ अन्‍य RNA और DNA वायरस के खिलाफ भी असर दिखाया है। ICAR ने इसी के आधार पर दावा किया है कि VTC-antiC1 में कोरोना वायरस का इलाज करने की क्षमता है।
 
क्‍यों नहीं मिल पा रही कोरोना की दवा
कोरोना को कंट्रोल करने के लिए फिलहाल न तो कोई दवा और न ही कोई टीका उपलब्ध है। परंपरागत रूप से एंटी वायरल दवाओं को विकसित करते समय वायरस के किसी एक प्रोटीन को टारगेट किया जाता है। लेकिन वायरस की अपने आप में तेजी से और लगातार परिवर्तन करने की अपनी क्षमता इस तरह की दवाओं को बेअसर कर देती है।
 

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