GST से आया पावरलूम उद्योग पर संकट, व्यवसायी कर रहे इसे आसान करने की मांग

बुरहानपुर
जीएसटी ने बुरहानपुर (Burhanpur) के पावरलूम उद्योग (Powerloom Industry)को वेंटिलेटर पर ला दिया है. कपड़े की मांग घटने से उद्योगपतियों ने भी उत्पादन कम दिया है. यही वजह है कि गरीब बुनकरों को सप्ताह में 3 से 4 दिन काम ही मिल पा रहा है. जिससे उनके सामने रोजी-रोटी के साथ भूखों मरने का संकट खड़ा हो गया है. यह समस्या 5 या 10 बुनकरों के साथ नहीं है बल्कि यहां के करीब 70 हजार बुनकर इस समस्या से जूझ रहे हैं. बावजूद इसके केंद्र और राज्य सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है.

बुरहानपुर की धड़कन कहा जाने वाला पावरलूम उद्योग (Powerloom Industry) इन दिनों आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. मंदी की वजह से बुनकरों के सामने परिवार का भरण पोषण करना सबसे बडी चुनौती बन गई है. पिछले चार महीने से बुनकरों को सप्ताह में सातों दिन काम नहीं मिल रहा है. कपड़ा उद्याोग में आई मंदी के चलते बुरहानपुर में भी 30 प्रतिशत उत्पादन घटा है. जिसके चलते हालात ये है कि  लाखों रूपए का माल तैयार है लेकिन बाजार में उसकी मांग ही नहीं है. बडे व्यापारी कपड़ा नहीं खरीद रहे हैं.

बुनकर नेताओं की माने तो बुरहानपुर में करीब 40 हजार पावरलूम (Powerloom)है. जिससे 70 हजार बुनकर अपनी रोजी रोटी कमाते हैं. उनके अनुसार इस स्थिति की सबसे बड़ी वजह जीएसटी है. यदि केंद्र सरकार जीएसटी में सरलीकरण करे और राज्य सरकार बिजली दरों में रियायत दे तो स्थिति कुछ सुधर सकती है. इसके साथ ही उनलोगों का कहना है कि अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो बुनकरों के सामने आंदोलन के सिवा कोई और रास्ता नहीं बचेगा.

पावरलूम उद्योगपतियों की माने तो केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से कपड़ा उद्योग में आज मंदी छाई हुई है. भारत के कपड़ा उद्योग को सबसे बड़ी चुनौती चीन और बांग्लादेश में तैयार होने वाले कपड़े दे रहें हैं. चीन और बांगलादेश से आयात होने वाले कपड़े विभिन्न तरह की छूटों के चलते बाजार में सस्ते बिक रहे हैं. जबकि जीएसटी की वजह से बुरहानपुर समेत अन्य स्थानों में तैयार होने वाले कपड़ों की लागत अधिक होने से ज्यादा महंगी बिक रही हैं. जिससे बड़े उद्योगपति भी बाजार में नहीं टिक पा रहे हैं. कपड़ा बाजार के उद्योगपतियों ने भी केंद्र सरकार से इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने की मांग की है. इसके साथ ही चेतावनी भी दी है कि सरकार उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं करेगी तो बुनकरों के साथ उद्योगपति भी केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

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