GST में 400 से अधिक संशोधन से 2400 करोड़ का घाटा

भोपाल
डेढ़ साल पहले लागू किए गए जीसएटी में हुए 400 से अधिक संशोधन राज्य सरकार के अफसरों और व्यापारियों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार को अब जीएसटी में घाटा होने लगा है। इस घाटे की महीने दर महीने आने वाली रिपोर्ट के बाद राज्य शासन केंद्र से क्षतिपूर्ति राशि की मांग भी करने लगा है और चालू वित्त वर्ष में अब तक केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को 2400 करोड़ रुपए बतौर कम्पनशेसन दिए हैं। हालांकि ओवर आल ग्रोथ में सरकार नुकसान में नहीं है। 

वाणिज्यिक कर विभाग और सेट्रल जीसएटी डिपार्टमेंट के माध्यम से प्रदेश में गुड्स एवं सर्विस टैक्स की निगरानी और वसूली होती है। जीएसटी में लगातार हो रहे संशोधनों के बाद अब जिस तेजी से राज्य सरकार की आमदनी पिछले वित्त वर्ष में बढ़ी थी, उसमें कमी आने लगी है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2017-18 में तो इसमें वृद्धि हुई थी लेकिन लगातार संशोधनों और जीएसटी का टैक्स प्रतिशत घटाने के चलते अब राज्य को पिछले महीनों में घाटे की स्थिति का भी सामना करना पड़ रहा है। चालू वित्त वर्ष में जीएसटी से हुए घाटे के मद्देनजर केंद्र सरकार ने राज्य को 2400 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान कर दी है। 

कमर्शियल टैक्स विभाग के अफसरों के मुताबिक जीएसटी में हुए संशोधनों से कई बार मंत्रियों और सीनियर अफसरों के समक्ष लज्जित भी होना पड़ता है। स्थिति यह है कि 400 से अधिक संशोधनों के कारण वास्तविक स्थिति किसी को पता नहीं रहती। एक नियम याद करो तो अगले माह अगला संशोधित नियम आ जाता है। केंद्र द्वारा पारित संशोधनों को राज्य शासन अपने स्तर पर जारी करता है क्योंकि दोनों के लिए नियम एक ही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इतने अधिक संशोधन आज तक किसी कानून में नहीं हुए हैं। 

इधर कमर्शियल टैक्स विभाग द्वारा जनवरी 2018 तक आबकारी, कमर्शियल टैक्स और स्टांप शुल्क के माध्यम से 27000 करोड़ की कमाई की जा चुकी है। यह पिछले साल की आमदनी से 20 प्रतिशत अधिक ग्रोथ वाली बताई जा रही है पर इस आमदनी के बीच हर माह जीएसटी से कुछ न कुछ घाटा राज्य शासन को झेलना पड़ रहा है। 

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