EOW के निशाने पर आए BJP के तीन पूर्व सांसद और विधायक, कलेक्टर भी जद में

भोपाल
भाजपा के तीन पूर्व सांसद EOW  के निशाने पर आ गए है। EOW  ने पूर्व सांसद मनोहर ऊंटवाल, चिंतामणी मालवीय व राज्यसभा के पूर्व सांसद नारायण सिंह केसरी और के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इन तीनों पर जन प्रतिनिधियों पर अपने कार्यकाल में सांसद निधि में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं।अब  ईओडब्ल्यू  इन तीनों पूर्व सांसदों के खिलाफ गड़बड़ी की जांच करेगी और जो भी साक्ष्य पाए जाएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

दरअसल, पहला आरोप देवास-शाजापुर के पूर्व  सांसद पर लगा है। बताया गया है कि मनोहर ऊंटवाल जब सांसद थे तो उन्होंने 2014-15 में शाजापुर जिले के 10 स्कूलों में कंप्यूटर एजुकेशन के लिए सांसद निधि से 6 लाख रुपए प्रति स्कूल देने की स्वीकृति दी थी और अनुशंसा की थी कि कंप्यूटर सप्लाय का आदेश संबल एनजीओ को ही दिया जाए। तत्कालीन कलेक्टर शाजापुर ने बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए सीधे संबल को काम दे दिया। संबल ने घटिया किस्म के असेंबल्ड कंप्यूटर सप्लाय कर खानापूर्ति कर दी।इतना ही नही  ऊंटवाल ने ही 2015-16 में फिर आगर-मालवा जिले के 4 स्कूलों में कंप्यूटर सप्लाय के लिए सांसद निधि से 6 लाख रुपए प्रति स्कूल की अनुशंसा कर दी। इसमें भी कलेक्टर ने शासकीय प्रक्रिया अपनाए बिना संबल एनजीओ को काम दे दिया। यहां भी घटिया कंप्यूटर सप्लाय हुए।यह एनजीओ प्रदेश कांग्रेस के आईटी सेल के अध्यक्ष अभय तिवारी का है।

इसके अलावा दूसरा आरोप उज्जैन के पूर्व सांसद पर लगा है। बताया जा रहा है कि जब चिंतामणी मालवीय सांसद थे, उन्होंने 2014-15 में उज्जैन के 8 स्कूलों में सांसद निधि से कंप्यूटर सप्लाय करने की औऱ काम संबल को ही देने की अनुशंसा की। कलेक्टर ने 6 लाख रुपए प्रति स्कूल के मान से जारी कर दिया। यहां भी घटिया कंप्यूटर सप्लाय हुए।वही पूर्व राज्यसभा सांसद नारायण सिंह केसरी ने 2014-15 में रतलाम के 4 स्कूलों में सांसद निधि से कंप्यूटर सप्लाय करने की अनुशंसा की। काम संबल एनजीओ को ही देने को लिखा। कलेक्टर ने बिना किसी प्रक्रिया के संबल को आदेश दे दिया। यहां भी घटिया कंप्यूटर सप्लाय हुआ।इन तीनों मामलों में eow  जांच कर रहा है।

इसके अलावा  नामनिर्दिष्ट विधायक लोरेन बी लोबो के खिलाफ भी विधायक निधि में गड़बड़ी के आरोप लगे है। मनोनीत पूर्व विधायक लोरेन बी लोबो, जबलपुर ने 2007 से 2018 तक विधायक निधि से उनके रिश्तेदारों की संस्थाओं को लाखों रुपए दिए। इनमें सनराइज फुटबॉल क्लब, स्टार क्रिकेट क्लब और सरगम संगीत सेंटर आदि के नाम प्राथमिक जांच में सामने आए हैं।इसकी भी जांच की जा रही है।

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव रहे एएन मिश्रा, विधि अधिकारी सुधीर श्रीवास्तव और कौंसिल पुरुषेंद्र कौरव (पूर्व महाधिवक्ता) के विरुद्ध भी अवैध पारिश्रमिक की जांच शुरू हो गई है।अवैध पारिश्रमिक एएन मिश्रा, विधि अधिकारी सुधीर श्रीवास्तव और कौंसिल पुरुषेंद्र कौरव पर 54 लाख से ज्यादा का अवैध पारिश्रमिक लेने का आरोप है। पेशियों के नाम पर यह पारिश्रमिक लिया गया।

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