CS ने कलेक्टरों से किया आदिवासी हितग्राही पर जबाव तलब

भोपाल
प्रदेश में वन भूमि पर काबिज 3 लाख 60 हजार 877 आदिवासी हितग्राही जिनके दावे निरस्त किए गए है। उनकी सुनवाई के बाद क्या कार्यवाही की गई इसकी जानकारी मुख्य सचिव ने सभी कलेक्टरों से मांगी है। मुख्य सचिव को इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र के साथ जानकारी देना है।

प्रदेश में वन भूमि पर काबिज अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासियों को वन भूमि के  अधिकार पत्र दिए जाने के लिए कुल 6 लाख 24 हजार 889 आवेदन प्रदेशभर में मिले थे। इसमें से 2 लाख 63 हजार 916 दावे मान्य किए गए है। जिला स्तर पर 96 दावे अभी भी लंबित है। 3 लाख 60हजार 877 दावे निरस्त किए गए है। राज्य स्तर पर जनजाति प्रतिनिधि मंडलों और शिकायतकर्ताओं ने न्यायायालयों में याचिकाएं लगाकर कहा कि दावे निरस्त करने से पहले विभिन्न आवेदकों को युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं किया गया। 

इसके बाद इन दावों पर विचार करने वाली राज्य स्तरीय समिति ने निर्णय लिया कि सभी निरस्त दावों को ग्रामसभा में पुन: प्रेषित किया जाए। हर दावेदार को सुनवाई का मौका देकर उनके दावों का निराकरण किया जाए।इसके बाद उपखंड स्तरीय और जिला स्तरीय समिति के सामने प्रकरण रखे जाएंगे।  तीस जून तक इस कार्यवाही को पूरा राज्य स्तरीय समिति के समक्ष वस्तुस्थिति पुन: रखी जाएगी। राज्य स्तर से दल भेजकर भी इसकी समीक्षा की कराई जा रही है।

 मुख्य सचिव ने सभी कलेक्टरों से पूछा है कि वन अधिकार संबंधी आवेदनों में आदिवासियों और गैर आदिवासियों को साक्ष्य प्रस्तुत करने के अवसर दिए या नहीं। आवेदन निरस्त करने के क्या आधार है। आवेदनों के निराकरण के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई है। दो दावे निरस्त हुए है उनमें स्पष्ट कारर्ण दर्शाए है या नहीं। निरस्त दावों में बेदखली के लिए क्या कार्यवाही की जा रही है। आवेदन करने वाले व्यक्तियों का श्रेणीवार विवरण क्या है यह मांगा है। इसके आधार पर राज्य स्तर की जानकारी तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में भेजी जाएगी।

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