Coronavirus Maps की मदद से आपको निशाना बना रहे हैं हैकर्स, ऐसे रहें सेफ

 
नई दिल्ली

कोरोना वायरस का संक्रमण दुनियाभर में फैल रहा है और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से भी महामारी घोषित किया गया है। इस वायरस का इन्फेक्शन चीन के शहर वुहान से दिसंबर, 2019 में फैलना शुरू हुआ और अब तक इसकी वजह से 4,300 से ज्यादा लोगों की जान गई है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1,21,000 से ऊपर निकल गई है। कई यूनिवर्सिटी और ऑर्गनाइजेशंस में खास डैशबोर्ड तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण को ट्रैक करने के लिए लगाए गए हैं, जिनका फायदा हैकर्स को मिल रहा है।

रीजन लैब्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकर्स लाइव ट्रैकिंग के लिए लगाए गए मैप्स का इस्तेमाल पर्सनल डेटा चुराने के लिए कर रहे हैं। इन इन्फॉर्मेंशन में यूजर नेम, क्रेडिट कार्ड नंबर, पासवर्ड्स और ब्राउजर में स्टोर बाकी जानकारी भी शामिल है। रिसर्च में सामने आया है कि हैकर्स की ओर से कई ऐसी वेबसाइट्स डिजाइन की गई हैं, जो यूजर्स से किसी तरह का ऐप डाउनलोड करने को कहती हैं, जिसकी मदद से वे तेजी से फैलते कोरोना संक्रमण के बारे में अपडेट रह सकें।

url की मदद से हैकिंग
रिसर्च में बताया गया है कि इस ऐप के लिए किसी तरह के इंस्टॉलेशन की जरूरत नहीं होती और यह कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी वाला मैप कंप्यूटर पर दिखाता है। इसकी मदद से हैकर्स एक मैलिशस बाइनरी फाइल क्रिएट कर देते हैं, जिसे बाद में कंप्यूटर पर इंस्टॉल कर दिया जाता है। फेक वेबसाइट पर ट्रैकिंग के लिए बिल्कुल सही मैप्स दिए गए हैं लेकिन अलग URL इनसे हाइपरलिंक हैं। फिलहाल केवल विंडोज ओएस यूजर्स पर ही ऐसे अटैक्स किए गए हैं लेकिन यह बाकी सिस्टम्स पर भी फैल सकता है।

समझदारी ही सुरक्षा
फर्म की ओर से कहा गया है, 'नया मैलवेयर को एक मैलिशस सॉफ्टवेयर AZORult ऐक्टिवेट करता है। यह सॉफ्टवेयर दरअसल जानकारी एक तरह का इन्फॉर्मेशन स्टीलर है और इसका पता पहली बार 2016 में चला था। इसकी मदद से ब्राउजिंग हिस्ट्री, कुकीज, आईडी/पासवर्ड्स, क्रिप्टोकरंसी और बाकी डेटा चुराया जा सकता है। इसकी मदद से अडिशनल मैलवेयर भी इन्फेक्टेड मशीन्स में डाउनलोड किया जा सकता है।' कोरोना वायरस संक्रमण और इसे मॉनीटर करने वाली मशीनरी पर सोच-समझकर भरोसा करने में ही समझदारी है।

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