Coronavirus की चपेट में आया दो करोड़ विद्यार्थियों का शैक्षिक सत्र

 पटना 
लॉकडाउन की वजह से शैक्षिक सत्र 2020-21 के लिए वार्षिक कार्य योजना एवं बजट सूत्रण के लिए तय अप्रेजल कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है। 3 से 8 अप्रैल तक सभी जिलों के लिए राज्य स्तर पर बजट अप्रेजल हेतु तिथि निर्धारित की गई थी। सोमवार को बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रवि शंकर सिंह ने सभी डीईओ को इसके स्थगित होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते 14 अप्रैल तक देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर बजट अप्रेजल की तिथि को तत्काल स्थगित कर दिया गया है।

राज्य के दो करोड़ से अधिक स्कूली बच्चों का शैक्षिक सत्र भी कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ गया है। निजी विद्यालयों में तो हमेशा एक अप्रैल से नया सत्र आरंभ होता रहा है पर तीन साल पहले तक सरकारी स्कूल जनवरी से नया सत्र आरंभ करते थे। लेकिन तीन साल से सरकारी स्कूलों में भी 1 अप्रैल से ही शैक्षिक सत्र बदलने लगे थे। अब जबकि 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है, ऐसे में नया शैक्षिक सत्र कब से आरंभ होंगे इसको लेकर फिलहाल संशय की स्थिति है। गौरतलब है कि प्रदेश के सभी सरकारी-निजी शैक्षिक संस्थान 13 मार्च से कोरोना संक्रमण को लेकर बंद हैं। राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश पर सभी स्कूलों ने पहले 31 मार्च तक के लिए स्कूल बंद किये थे, पर प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद अब ये 14 तक के लिए बंद हैं। जानकारों की मानें तो कोरोना संक्रमण का देश-प्रदेश में जो हाल है उसे देखते हुए एक बात तो साफ है कि अप्रैल माह में नया सत्र आरंभ नहीं होने की स्थिति है। ऐसे में शैक्षिक सत्र कम से कम एक माह पिछड़ेगा।

निजी स्कूल कम सरकारी अधिक होंगे प्रभावित : अगर तुलनात्मक ढंग से देखा जाय तो कोरोना संक्रमण की वजह से स्कूल बंदी के कारण निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन अधिक प्रभावित होगा। प्रदेशभर के निजी विद्यालयों में तो फरवरी माह में ही वार्षिक परीक्षा ली जा चुकी है। मार्च में स्कूलों ने अपने बच्चों को एसएमएस और व्हाट्सअप के माध्यम से रिजल्ट भी दे दिया है और विद्यार्थी अगली कक्षाओं में प्रमोट भी हो गये हैं। लेकिन सरकारी स्कूलों में मूल्यांकन तथा वार्षिक परीक्षाएं हुई भी नहीं हैं। पहली से लेकर आठवीं तक के करीब पौने दो करोड़ बच्चों की परीक्षा 21 से 26 मार्च के बीच तय थी जो टल गयी है। अब जब स्कूल खुलेंगे तो देखना होगा कि ये परीक्षाएं होती हैं या बच्चे बिना परीक्षा अगली कक्षा में जाते हैं।

चिंता की बात 
एक अप्रैल से शुरू होता है नया सत्र, कम से कम माह भर पिछड़ेगा
शिक्षा विभाग को इसे पटरी पर लाने को बनानी होगी विशेष कार्ययोजना
अभी पौने दो करोड़ बच्चों की वार्षिक परीक्षा भी है लंबित

बनानी होगी कार्ययोजना 
कोरोना के पहले शिक्षकों की हड़ताल से ही बच्चों की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में ठप हो गयी थी। अब जब भी राज्य इस संक्रमण से उबरता है और विद्यालय खुलते हैं तो बच्चों के शैक्षणिक हानि के लिए शिक्षा विभाग को विशेष कार्ययोजना बनानी होगी। शिक्षक इसमें मदद करेंगे तभी इसकी भरपाई संभव हो सकेगी।
 
महत्वाकांक्षी स्मार्ट क्लास योजना भी ठप पड़ी 
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट क्लास योजना कोरोना से ठप पड़ गयी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन्नयन बांका की तर्ज पर हाई स्कूल के बच्चों के लिए सितम्बर 2019 से यह योजना प्रदेश के करीब 5600 स्कूलों में संचालित हो रही थी। अप्रैल से प्रदेश की सभी पंचायतों में आरंभ होने वाली 9वीं की कक्षा की पढ़ाई वाले स्कूलों में भी इसका संचालन होना था। इसके लिए टीवी, इन्वर्टर आदि की खरीद के लिए सभी स्कूलों को 90-90 हजार रुपए दिए गए हैं। पर उन्नयन बिहार अभी पूरी तरह ठप है। मिथिला विवि के सीएम साइंस कालेज की तरह स्कूलों में स्मार्ट क्लास को ऑनलाइन आरंभ की संभावना भी फिलहा नहीं दिखती। एक अधिकारी ने पूछे जाने पर कहा कि यह कार्यक्रम अभी इतना परिपक्व नहीं है कि ऑनलाइन चलाया जा सके।

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