CBSE ने बोर्ड परीक्षा की फीस में की दुगुनी बढोतरी, अब सभी छात्रों को देने होंगे 1500 रुपये
भोपाल
अभी हाल ही केदीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने र्वतमान सत्र 2019-20 के 10वीं एवं 12वीं के स्टुडेंटों क ी परीक्षा शुल्क में दुगुनी बढाÞेतरी कर सबको अचरज में डाल दिया। इसमें अचरज इसलिए की यह शुल्क यूपीएससी और एमपीपीएससी के आवेदन शुल्क से भी ज्यादा है । इस नई अधिसूचना के मुताबिक अब सभी छात्रों को परीक्षा शुल्क के तौर पर 750 रुपये अधिक चुकाने होंगे। जबकि अभी तक यह फीस अधिकतम 750 रुपये ही अदा करने होते थे । गौर करने वाली बात यह है कि पहले आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को नियमानूसार शुल्क में छूट मिलती थी जो अब खत्म कर दी गई है। इकलौते दिल्ली राज्य के एसटी/एससी छात्रों को इसमें छूट प्रदान की गई है । बांकी सभी राज्यों ने में वर्तमान शुल्क नीति लागू होगी।
गौरतलब है कि सीबीएसई के द्वारा 11 अगस्त को परीक्षा शुल्क में वृद्धि को लेकर नई अधिसूचना जारी की गई । उसमें सीधे तौर पर देश के 9 हजार विद्यालय प्रभावित हो रहे हैं । अब सभी स्टुडेंटों को परीक्षा शुल्क के तौर 750 की जगह 15सौ रुपये चुकाने होंगे । जबकि पहले 10वीं एवं 12वीं के सामान्य वर्ग के छात्रों को 750 रुपये देने होते थे उसे अब बढाÞकर 15सौ रुपये कर दिया गया है। वहीं एसटी/एससी वर्ग के छात्रों की 350 की जगह 1500 कर दिया गया है । हालांकि विकलांग छात्रों की शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अब नई नीति के मुताबिक सभी छात्रों को परीक्षा शुल्क जमा करनी होगी ।
फीस रेगुलेटरी कमेटी के मानें तो उत्कृष्ट संस्थाओं जैसे यूपीएससी , एमपीपीएससी के आवेदन शुल्क की फीस भी सीबीएसई से कई गुना कम है। वर्तमान में जहां यूपीएससी की प्रारंभिग फीस 100 से 200 रुपये तक है । वहीं एमपीपीएससी की शुल्क अधिकतम 500 रुपये है। ऐसे में सीबीएसई की यह शुल्क वृद्धि नैतिकता के लिहाज से न्योचित नहीं है
सीबीएसई ने शुल्क की बढोÞतरी को लेकर नई गाइडलाइन जारी की थी जिसको लेकर एसटी/एससी वर्ग के छात्रों में सस्पेंस था कि उन्हें शुल्क में रियायत मिलेगी या नहीं । जिसे विभाग ने पुन: अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था सभी वर्ग के छात्रों के लिए की गई है । इसमें किसी भी वर्ग को कोई रियायत नहीं दी गई है मात्र विकलांग कोटे की फीस को यथावत रखा गया है । फीस बढोÞतरी के मामले में सीबीएसई ने सफाई देते हुए कहा की यह बदलाव पिछले पांच वर्षों के बाद किया गया है।
छात्रों एवं उनके परिजनों की मानें तो शुल्क की दरों में किया गय बदलाव व्यवहारिक नहीं हैं। क्योेंकि इसका सीधा असर उन गरीब परिवारों पर पड़ेगा जो पूर्व की फीस को अदा करने में सक्षम नहीं थे। आज भी बहुत से ऐसे छात्र या अभिभावक हैं जो फीस भर पाने में सक्षम नहीं हैं । इसमें उन विशेष आरक्षित वर्ग के छात्रों को भी अनदेखी की गई है। । ऐसे में परीक्षा शुल्क में की गई यह बढोÞतरी का असर छात्रों के भविष्य पर पडेÞगा।