CAG रिपोर्ट में भी राफेल डील ‘मुनाफे का सौदा’- सरकार ने SC में कहा

 नई दिल्ली 
चुनावों के दौरान बड़ा मुद्दा रहे राफेल जहाज की डील में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि याचिकाकर्ता ने इस जेट की जो कीमत बताई है वह पूरी तरह से काल्पनिक है। सरकार ने कहा, 'सीएजी की रिपोर्ट याचिकाकर्ता की उस मुख्य दलील का ही समर्थन नहीं करती जिसमें जहाज की कीमतें अधिक होने का दावा किया जा रहा है।' अदालत में सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि 36 जहाजों का मौजूद अनुबंध जिस कीमत पर किया गया है वह एमएमआरसीए (मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) के तहत लिए जाने पर प्रति जहाज 1000 करोड़ रुपये कम रहती।  
 सरकार ने कहा, 'कीमतों की सभी जानकारी, फाइल्स, दस्तावेज और रेकॉर्ड सीएजी की टीम को मुहैया करवाए गए, जिसने भारतऔर फ्रेंच सरकार के बीच हुए 36 जेट के अनुबंध और एमएमआरसीए की 126 जहाजों की बोली की हर आयाम से तुलना की है।' 
सरकार ने अदालत में 39 पन्नों में अपना पक्ष रखते हुए कहा, 'सीएजी का आकलन याचिकाकर्ता की उस बात का समर्थन नहीं करता कि हर जहाज एमएमआरसीए की बोली की तुलना में 1000 करोड़ रुपए अधिक कीमत में खरीदा गया है। दरअसल, सीएजी ने कहा है कि 36 राफेल जहाजों का अनुबंध 2.86 प्रतिशत कम है। इसके साथ ही इसमें नॉन-फर्म और फिक्स्ड प्राइस का भी फायदा मिलेगा। यह अपने आप में याचिकाकर्ता की दलील के खिलाफ जाता है।' 
अदालत ने 14 दिसंबर के अपने उस फैसले जिसमें राफेल जहाज की खरीद को लेकर सरकार को क्लीन चिट दी गई थी, पर दायर रीव्यू पीटिशन पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राहुल गांधी द्वारा भाषणों में लगातार यह कहना कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में 'चौकीदार चोर है' नारे का समर्थन किया है, पर कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा है। राहुल ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का नाम लेने पर बिना शर्त माफी मांग चुके है। 

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