BSNL में आर्थिक मंदी, 1.76 लाख कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी!

 
नई दिल्‍ली 

आर्थिक संकट की वजह से सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) के 1.76 लाख कर्मचारियों को फरवरी महीने की सैलरी अब तक नहीं मिली है. टेलिकॉम इतिहास में यह पहली बार है जब बीएसएनएल के कर्मचारियों की सैलरी अटक गई है. अब तक कर्मचारियों को हर महीने के आखिरी या अगले महीने के पहले वर्किंग डे तक सैलरी मिल जाती थी.

अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया के मुताबिक बीएसएनएल की यह हालत प्राइवेट टेलिकॉम  कंपनियों की प्राइस वॉर है. रिपोर्ट के मुताबिक बीएसएनएल के कर्मचारियों पर हर माह 1200 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. यह कंपनी की कुल आमदनी का 55 फीसदी हिस्सा होता है. जबकि हर साल इस बजट में 8 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो जाती है. इसका मतलब ये हुआ कि वेतन पर कंपनी का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है जबकि आमदनी लगातार गिर रही है.

इस बीच बीएसएनएल के कर्मचारियों के संगठन ऑल यूनियन एंड एसोसिएशन ऑफ बीएसएनएल (AUAB) ने संचार मंत्री मनोज सिन्हा को चिट्ठी लिखी है. कंपनी ने मंत्री से मामले में दखल देने की गुजारिश की है. कर्मचारियों के मुताबिक मोदी सरकार बीएसएनएल को बंद करने की साजिश कर रही है. इसको लेकर वे लगातार देश भर में प्रदर्शन भी करते रहे हैं.

भारत में लैंडलाइन और ब्रॉडबैंड सर्विस सहित बैंडविथ का कारोबार करने वाली सरकारी कंपनी बीएसएनल पिछले तीन साल से लगातार नुकसान में है. यह नुकसान बढ़ता जा रहा है. कंपनी ने 2016-17 में 4,793 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया है. कंपनी ने वित्त वर्ष 18 के लिए लगभग 8,000 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया. वहीं डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के मुताबिक बीएसएनल को ‘Incipient Sick’ घोषित किया गया है.

क्‍या है इस हालात की वजह

टेलिकॉम इंडस्‍ट्री के एक्‍सपर्ट बीएसएनल के इस हालात की वजह मार्केट में प्राइस वॉर को बता रहे हैं. 2016 में रिलायंस जियो की एंट्री के बाद से ही प्राइस वॉर तेज हुई और प्राइवेट कंपनियों ने अपने प्लान सस्ते कर दिए. कई कंपनियों ने विलय कर लिया तो कुछ कंपनियां टेलिकॉम इंडस्‍ट्री के कारोबार को समेटने पर मजबूर हुईं. इस जंग में सरकार की कंपनी बीएसएनल भी शामिल हो गई लेकिन इस दौरान उसकी आर्थिक सेहत पर असर पड़ा.    

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