BSNL और MTNL का हो सकता है विलय, मोदी सरकार बना रही प्‍लान

नई दिल्‍ली

लंबे समय से घाटे में चल रही पब्‍लिक सेक्‍टर की टेलिकॉम कंपनियां- बीएसएनएल और  MTNL के विलय पर विचार हो रहा है. हालांकि इस विलय को लेकर अंतिम निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल लेगा.

न्‍यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक दूरसंचार विभाग फिलहाल अपनी दो बीमार कंपनियों -बीएसएनएल और एमटीएनएल- के विलय के प्रस्ताव पर काम कर रहा है, ताकि सरकारी स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनियों को जिंदा किया जा सके. इस विलय की प्रक्रिया में 1 साल से अधिक का समय लग सकता है. यहां बता दें कि एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में टेलीफोन सेवा मुहैया कराती है, जबकि बीएसएनएल बाकी सभी सर्किल में मौजूद है.

सरकार ने यह पहल ऐसे समय में की है जब बीएसएनएल और  MTNL, दोनों कंपनियां घाटे में चल रही हैं और अतीत में अपने कर्मचारियों के वेतन भुगतान में चुनौतियों का सामना कर चुकी हैं. हाल ही में  बीएसएनएल ने अपने अधिकारियों को हवाई यात्राओं के लिए इकोनॉमी क्लास का इस्तेमाल करने को कहा है. BSNL के आदेश के मुताबिक कंपनी के आधिकारिक दौरे के लिए इकोनॉमी क्लास से (घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय) यात्रा करेंगे. हालांकि इस आदेश में चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) को राहत मिली है.

आर्थिक संकट से जूझ रही BSNL

बीएसएनएल को वित्त वर्ष 2018-19 में 14,000 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है. जबकि 2015-16 में बीएसएनएल का अस्थायी घाटा 4,859 करोड़ रुपये था. वहीं 2016-17 में 4,793 करोड़ रुपये और 2017-18 में 7,993 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. इसके अलावा रेवेन्‍यू की बात करें तो करीब 19,308 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. बता दें कि BSNL अपने कर्मचारियों की सैलरी पर कुल खर्च का 75 फीसदी खर्च करती है. बीएसएनएल का कुल खर्च 1 लाख 44 हजार 888 करोड़ रुपये है. वहीं एमटीएनएल के कर्ज की बात करें तो यह 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.

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