BJP को एक दलित महिला का तिरंगा फहराना रास नहीं आ रहा: इमरती देवी
ग्वालियर
गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में ग्वालियर के एसएएफ ग्राउंड पर महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी का मुख्यमंत्री का संदेश न पढ़ पाना विवाद का विषय बन गया है। जहां इस ओर भाजपा इस पर तंज कस रही हैं वहीं कैबिनेट मंत्री का कहना है कि भाजपा को एक दलित महिला का तिरंगा फहराना रास नहीं आ रहा। यह उसकी महिला और दलित विरोधी सोच है।
प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने मीडिया से बातचित में कहा कि मेरी तबीयत खराब थी, मेरा हिमोग्लोबिन कम था। इसके बावजूद मैंने कार्यक्रम में शिरकत की। भाजपा के नेता जो मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं वह उनकी दलित और महिला विरोधी सोच है, उसे मेरा मंच से झंडा फहराना रास नहीं आया। उधर ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर ने भी भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि पहले भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट में शामिल स्मृति इरानी की योग्यता की जांच हो गई हो तो तीसरी जांच भी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि श्रीमती इमरती देवी जनता की अदालत में 3-3 बार पास हो चुकी हैं। डबरा में जब भाजपा के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के मंत्री डेरा जमाए रहे ऐसे में भी इमरती देवी ने उनके उम्मीदवारों को धूल चटा कर जमानत तक जब्त करवा दी। यह किस मुंह से ऐसी बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री अभी भी बीमार हैं और माधौगंज के एक नर्सिंग होम में भर्ती हैं।
कैबिनेट मंत्री इमरती देवी द्वारा दिए चुनावी हलफनामों में जानकारी अस्पष्ट और विरोधाभासी है। 2018 के चुनाव के हलफनामे में उन्होंने शैक्षणिक योग्यता हायर सेकंडरी घोषित की है। 2009 में भिंड के एक सरकारी स्कूल से राज्य ओपन बोर्ड से हायर सेकंडरी पास होना बताया है। 2013 के हलफनामे में भी यही जानकारी है। 2008 के हलफनामे में भी उन्होंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भोपाल से हायर सेकंडरी पास होना बताया था, लेकिन इसमें पासिंग ईयर का जिक्र नहीं है। वहीं इमरती का कहना है कि उन्होंने तो वर्ष 2007 में ही भितरवार के सरकारी स्कूल से 12वीं पास कर ली थी।