AUS vs IND: टीम इंडिया के पास स्पिन अटैक में ये 4 ऑप्शन, जानें कौन कितना मजबूत

 
नई दिल्ली 

पर्थ टेस्ट में एक स्पेशलिस्ट स्पिनर को प्लेइंग इलेवन में नहीं रखने की गलती टीम इंडिया को भारी पड़ी। भारतीय टेस्ट इतिहास का यह केवल तीसरा टेस्ट मैच था जहां भारतीय टीम बिना किसी स्पेशलिस्ट स्पिनर के मैदान पर उतरी थी। मेजबान ऑस्ट्रेलिया ने नाथन लियोन के रूप में स्पेशलिस्ट स्पिनर को मैदान पर उतारा और उन्होंने मैच में 8 विकेट चटकाकर अंतर पैदा किया। 
टेस्ट के दौरान भारतीय पेसर मोहम्मद शमी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकारा कि एक स्पेशलिस्ट स्पिनर को नहीं शामिल कर टीम मैनेजमेंट ने गलती की। अब मेलबर्न में 26 दिसंबर से शुरू हो रहे तीसरे टेस्ट में भारतीय टीम मैनेजमेंट अपने बोलिंग अटैक में स्पेशलिस्ट स्पिनर को शामिल करने पर विचार कर रहा होगा, हालांकि आर अश्विन, रविंद्र जडेजा और कुलदीप यादव की मौजूदगी में यह फैसला आसान नहीं होने वाला। 
क्या हो कॉम्बिनेशन 
पहला सवाल बोलिंग कॉम्बिनेशन का होगा? विराट तीसरे टेस्ट में कितने स्पेशलिस्ट बोलर के साथ उतरना चाहते हैं? भारत तीसरे टेस्ट में छह स्पेशलिस्ट बैट्समैन के बाद अपने बैटिंग ऑर्डर को थोड़ा और लंबा करने के लिए एक बोलिंग ऑलराउंडर और चार स्पेशलिस्ट बोलर के साथ मैदान पर उतारना चाहेगा। चार स्पेशलिस्ट बोलर में तीन पेसर के साथ सिर्फ एक स्पिनर की जगह बनती दिख रही है और इस एक स्थान के लिए तीन-तीन दावेदार हैं। देखना यह होगा कि टीम मैनेजमेंट फिरकी की यह उलझन कैसी सुलझाती है। जो विकल्प बनते हैं, उस पर एक नजर डालते हैं… 

अश्विन का अनुभव 

ऐडिलेड में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद अश्विन चोटिल हो गए और पर्थ टेस्ट में टीम में शामिल नहीं किए गए। अश्विन की चोट पर अभी भी कोई अपडेट नहीं है, लेकिन अगर वह फिट हैं तो मैनेजमेंट उन्हें ही पहले स्पेशिलिस्ट स्पिनर के तौर पर टीम में रखना चाहेगी। बॉल को खास टर्न नहीं करा पाने के बावजूद अश्विन अपने वैरिएशंस से विपक्षी बल्लेबाजों को खास परेशान करते हैं। उन्हें शामिल करने के पीछे एक मजबूत वजह यह भी रहेगी कि बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ उनका रेकॉर्ड शानदार रहा है और ऑस्ट्रेलियाई टीम में छह बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। इसके अलावा वह थोड़ी बहुत बल्लेबाजी भी कर सकते हैं, जिससे लोअर ऑर्डर के रन नहीं बना पाने की परेशानी से टीम को थोड़ी राहत मिल सकती है। 

रविंद्र जडेजा

पर्थ में जिस तरह से लियोन ने गेंद को टर्न कराया उसके बाद सभी के जेहन में यही बात आई कि अगर टीम इंडिया में जडेजा होते तो शायद मैच का परिणाम कुछ और ही होता। एवरेज टर्निंग पिच पर भी गेंद को ठीक-ठाक टर्न कराने की काबलियत रखने वाले जडेजा अश्विन की अनुपस्थिति में पहले विकल्प हो सकते हैं। अश्विन की ही तरह जडेजा भी बाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए बहुत मुश्किल पैदा करते हैं। SENA (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यू जीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) देशों में अगर रेकॉर्ड खंगालें तो पाएंगे कि बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ उनका ऐवरेज 29.00 का है, जो कि बुरा नहीं। इसके अलावा जडेजा बैटिंग भी कर सकते हैं और तेजी से रन बनाकर विपक्षी को दबाव में ला सकते हैं। 
 कुलदीप का सरप्राइज
भारतीय टीम मैनेजमेंट अगर विपक्षी टीम को चौंकाना चाहती है तो कुलदीप यादव से बेहतर विकल्प कोई नहीं होगा। क्रिकेट के छोट फॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन करने वाले कुलदीप ने अभी तक पांच टेस्ट ही खेले हैं और 19 विकेट चटकाए हैं, लेकिन यह हर कोई मानता है कि उनकी बोलिंग में एक सरप्राइज एलिमेंट है जो विपक्षी बल्लेबाजी क्रम को देखते-देखते ध्वस्त कर सकती है। पिछली बार भारत से बाहर भारत ने उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ पेसर्स के मुफीद लॉर्ड्स टेस्ट के लिए इलेवन में शामिल किया था, जहां वह एक भी विकेट नहीं निकाल पाए थे। इसके बावजूद उन पर टीम मैनेजमेंट भरोसा जताकर एक नए कॉम्बिनेशन के साथ उतर सकती है। 
दो स्पिनर, दो पेसर
मेलबर्न का क्रिकेट ग्राउंड काफी बड़ा है और यहां स्पिनर्स पर बड़े शॉट लगाना किसी भी प्लेयर के लिए आसान नहीं रहेगा। इस पहलू को देखते हुए टीम मैनेजमेंट दो स्पेशलिस्ट स्पिनर के साथ भी उतर सकती है। दूसरे स्पेशलिस्ट स्पिनर को वे एक बोलिंग ऑलराउंडर की जगह उतार सकते हैं। अश्विन और कुलदीप में से किसी एक को स्पेशलिस्ट स्पिनर की जगह और जडेजा को बोलिंग ऑलराउंडर की जगह दी जा सकती है। SENA देशों में जडेजा का बैटिंग रेकॉर्ड भी शानदार रहा है। उन्होंने इन देशों में 28.15 के ऐवरेज से रन बनाए हैं। जडेजा बैटिंग को गहराई देते हैं। 
 

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