2018-19 में 27 वर्षों के निचले स्तर पर खाद्य मुद्रास्फीति

नई दिल्ली
वित्त वर्ष 2018-19 में खाद्य मुद्रास्फीति 27 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के एक विश्लेषण के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खाद्य मुद्रास्फीति में महज 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इससे पहले, सालाना औसत खाद्य मुद्रास्फीति अंतिम बार वित्त वर्ष 1999-2000 में एक फीसदी से नीचे गई थी।  

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, खाद्य मुद्रास्फीति में इस गिरावट का कारण बंपर फसल, मांग में कमी, वैश्विक स्तर पर कीमतों में कमी और न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSP) में बढ़ोतरी का कम असर है। कम तथा स्थिर खाद्य मुद्रास्फीति किसानों को छोड़कर सबके लिए बढ़िया होता है। 

क्रिसिल के चीफ इकनॉमिक्स डी. के. जोशी ने कहा, 'मैं इसके लिए दो कारकों को जिम्मेदार मानता हूं-पिछले तीन-चार वर्षों में कृषि उत्पादन में वृद्धि प्रवृत्ति से ऊपर रही है और वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतें अनुकूल रहीं।'

जोशी के मुताबिक, मूलतः अधिकांश फसलों का बाजार मूल्य कम होने के कारण एमएसपी में बढ़ोतरी का असर कम रहा है। उन्होंने कहा, 'लेकिन आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी होगी और बहुत कुछ मॉनसून पर निर्भर करेगा।' 

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में ग्रुप चीफ इकनॉमिक अडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा, 'पिछले कुछ सालों में खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट एक प्रवृत्ति सी हो गई है। यह बेहतर आपूर्ति प्रबंधन, अधिक उत्पादन, खरीद मूल्यों में कम बढ़ोतरी और डिमांग शिफ्ट होने जैसे कारकों का मेल है।' 

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