छिंदवाड़ा में वन्दे मातरम ,भोपाल में पाबंदी यह कैसा था सियासी दाव “नाथ”

  • सचिन पांडेय

पिछली 30 दिसम्बर को मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश के मुखिया कमलनाथ पहली बार गृह जिले छिंदवाड़ा पहुंचे मंच से जनता का आभार माना और जनता का अभिवादन स्वीकार करने के तुरंत बाद वन्दे मातरम गाया और सभा स्थल पर मौजूद जनता भी इस यादगार पल की साक्षी बनी लेकिन दो दिन बाद भोपाल पहुँचने पर उन्होंने सरकारी कार्यालयों में उसकी अनिवार्यता खत्म कर दी है लेकिन दो दिन के इस सियासी दाव पेंच के बीच कमलनाथ बैकफुट पर आते हूए आज फैसला करते हुए कहा कि अब वन्दे मातरम का और आकर्षक रुप होगा वंदे मातरम विवाद के बाद कांग्रेस सरकार का बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि
भोपाल में अब आकर्षक स्वरूप में पुलिस बैंड और आम लोगों की सहभागिता के साथ वंदे मातरम् का गायन होगा ।
हर महीने के प्रथम कार्यदिवस पर सुबह 10:45 बजे पुलिस बैंड राष्ट्र भावना जागृत करने वाले धुन बजाते हुए शौर्य स्मारक से वल्लभ भवन तक मार्च करेंगे।
-कांग्रेस सरकार बनने के बाद पहली तारीख को नहीं हुआ था वंदे मातरम गीत
-14 साल से हर महीने की पहली तारीख को होता था मंत्रालय के सामने वंदे मातरम गीत लेकिन कमलनाथ सरकार के पिछले उठाये गए कदम छिंदवाड़ा वासियों के गले नही उतरा की छिंदवाड़ा में वन्दे मातरम और भोपाल पहुंचकर इस्की अनिवार्यता खत्म किया जाना को उचित नही माना हालाकि कमलनाथ सरकार ने इस मुद्दे पर दबाव बढ़ता देख वन्दे मातरम का और आकर्षक रूप कर दिया है वही छिंदवाड़ा के कुछ युवाओ का कहना है वन्दे मातरम को तो प्रतिदिन करवाना चाहिए।

हालाकि यह बात छिंदवाड़ा वासियों के गले नही उत्र रही है

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