हमीदिया अस्पताल: नई बिल्डंग में कैंसर वार्ड की जगह नहीं
भोपाल
हमीदिया अस्पताल में कैंसर के रोगियों के इलाज के लिए जगह और मशीनरी की भारी कमी है। राजधानी के सबसे बडे अस्पताल में कैंसर हास्पिटलअब भी 35 साल पुरानी कोबाल्ट मशीन से मरीजों का इलाज हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार यह देश की एकमात्र सबसे पुरानी मशीन है, जिसके अब पार्ट भी मिलना बंद हो चुके हैं। इस मशीन से प्रतिदिन 15 से 20 मरीजों की ही रेडियोथेरेपी हो पाती है। दूसरी तरफ लीनियर एक्सलेटर मशीन से प्रतिदिन 80 से 90 मरीजों की थैरेपी हो सकती है। दिलचस्प बात यह है कि दो हजार करोड़ रुपए से तैयार हो रही हमीदिया की नई इमारत में रेडियोथेरेपी की यूनिट तक नहीं बनाई गई है।
भोपाल के कैंसर पीड़ितों में 73% युवा हैं, जिनकी उम्र 30 से 45 वर्ष के बीच है। इन युवा मरीजों में सबसे ज्यादा ओरल कैंसर के हैं। खास बात यह है कि इनमें से 60% मरीजों को काफी देर से कैंसर का पता चलता है। कैंसर रजिस्ट्री सर्वे के अनुसार भोपाल में प्रति एक लाख की आबादी पर 11 कैंसर पीड़ित हैं।
जनसंख्या बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री सर्वे भोपाल के आंकड़ों के मुताबिक बीते पांच साल में कैंसर के मरीजों की संख्या 50% तक बढ़ी चुकी है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के तहत देश के 70 शहरों से कैंसर मरीजों के आंकड़े एकत्र किए जाते हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट हर तीन साल में प्रकाशित होती है। रिपोर्ट के अनुसार भोपाल के 55% कैंसर मरीज ओरल और ब्रेस्ट कैंसर के होते हैं। कैंसर रजिस्ट्री प्रोगाम के डॉ. अतुल श्रीवास्तव के मुताबिक तीन साल में पुरुष मरीजों की संख्या में 7% की वृद्वि हुई है। इसी प्रकार महिला मरीजों की संख्या में 5% की वृद्वि हुई है। गौरतलब है कि 2012-13 में भोपाल में कैंसर के कुल 3464 मरीज थे। शहर के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का कहना है कि पांच साल में शहर में कैंसर मरीजों की संख्या 15 से 20% तक बढ़ी है।