52 लाख की स्वीपिंग मशीन बनी कबाड़, हाईटेक मशीन का खर्चा नहीं उठा पा रहा निगम

धमतरी
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले से एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. शहर की सफाई के लिए 52 लाख में  स्वीपिंग मशीन खरीदा गया था, लेकिन अब ये हाईटेक मशीन कबाड़ में तब्दील हो गई है. सिर्फ ये ही नहीं कीमती सफाई गाड़ीय और मशीनों में जंग लगने के लिए छोड़ दिया गया है. जनता के पैसे से जनता के लिए लाखों की मशीन खरीदी गई थी, लेकिन प्रशसानिक गलती से अब लाखों का नुकसान हो गया है.

धमतरी लगभग 130 सालों से नगर पालिका रहा, महज 5 साल पहले ही नगर निगम का दर्ज मिला है. इन 130 सालों में भले जनता के लिए कोई बड़ा काम नहीं किया जा सका हो, लेकिन एक काम में इस निगम ने महारत हासिल कर चुका है, वो काम है जनता के पैसे को कबाड़ में बदलने का. धमतरी निगम में कूड़े दान से लेकर ट्रैक्टर, टैंकर, क्रेन, डम्पर-ट्रक जैसी लाखों की मशीन खरीदी तो जरूर जाती है, लेकिन फिर इन्हे कबाड़ होने छोड़ दिया जाता है.

नतीजा ये कि निगम के गैराज से लेकर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और इसी तरह करोड़ों की मशीन धीरे-धीरे कबाड़ हो रही है. कचरा और गंदगी साफ करने के लिए खरीदी गई चीजें आज खुद कचरे में बदल गई है. इसकी सबसे बड़ी मिसाल है रोड स्वीपर मशीन. लगभग 52 लाख रुपए की ये ट्रक फुल्ली आटोमेटिक हाईड्रोलिक स्वीपर हुआ करती थी, जो झाड़ू भी लगाती औऱ् धूल को वेक्यूम क्लीनर की तरह सोंख लेती थी, लेकिन इसे चलाने में प्रति घंटे करीब 6 हजार रुपए का भारी खर्च भी होता है. कुछ ही दिनों में निगम की सांसे फूल गई और उसने हाथ खड़े कर दिए. अब लगभग 8 साल से ये ट्रक एक जगह खड़ी है.

धमतरी में जब इस मशीन को लाया गया था उस समय पार्षदों ने इस फैसले का विरोध भी किया था, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा. आरोप तो ये भी है कि कमीशन खोरी के चक्कर में जानबूझकर गाड़ियों को कबाड़ होने दिया जाता है ताकि नई गाड़ी खरीदी जा सके.

वहीं धमतरी नगर निगम के महापौर और कर्मचारी इस मामले में अलग-अलग राय रखते है. कर्मचारी कहते है कि इस मशीन के पार्ट्स मिलने में परेशानी होती है, तो वहीं महापौर अर्चना चौबे इसे चलाने का खर्च निगम की क्षमता से बाहर बता रही है.

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