50 साल बाद भी कोई छात्रा नहीं बन सकी अध्यक्ष

पटना 
पीयू छात्र संघ इतिहास के पचास साल बाद भी अध्यक्ष पद पर किसी छात्रा का कब्जा नहीं हो सका है। छात्र संघ चुनाव की शुरुआत 1969 से हुई थी। अभी तक एक भी छात्रा उम्मीदवार अध्यक्ष पद जीतने में कामयाब नहीं हो सकी है, जबकि पीयू में 60 से 65 प्रतिशत वोटर छात्राएं हैं। पटना वीमेंस कॉलेज में करीब 4700 वोटर हैं। वहीं, मगध महिला कॉलेज में छात्रा वोटरों की संख्या सवा तीन हजार से अधिक है। इसके अलावा पीजी के विभागों और अन्य कॉलेजों में छात्राओं की संख्या जोड़ दी जाए, छात्र कहीं नहीं ठहरते हैं। बावजूद एक-दो संगठनों को छोड़कर कोई भी महिला उम्मीदवारों को अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार नहीं बनाते हैं। सबसे बड़ी विडंबना है कि इतने वोटर होने के बावजूद आधी आबादी हक की लड़ाई में पिछड़ जाती हैं। अभी तक जिनके नाम सुनने को मिल रहे है, इनमें अध्यक्ष पद पर किसी महिला उम्मीदवार के नाम शामिल नहीं हैं।  

सेंट्रल पैनल में जीत दर्ज करतीं हैं महिला उम्मीदवार
पीयू के छात्र संघ चुनाव में हर साल एक महिला उम्मीदवार सेंट्रल पैनल में जीत दर्ज करती है। वर्ष 2012 में वामपंथी संगठनों ने दिव्या गौतम को अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया था। इसमें दिव्या सिर्फ सौ से डेढ़ सौ मत से हार गई थीं। पिछले साल भी वामपंथी संगठनों ने भाग्य भारती को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया था, पर जीत दर्ज नहीं कर सकी। अंशु महासचिव के पद पर जीती थीं। वहीं, अंजना सिंह और यशोदा पटवर्धन उपाध्यक्ष चुनी गई थीं। 

पिछली बार छात्राओं के वोट से मिली थी बढ़त
छात्र संघ चुनाव में पिछली बार छात्र जदयू के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मोहित प्रकाश और एवीबीपी के अभिनव के बीच कांटे की टक्कर थी। काउंटिंग में चल रहा था, पर जैसे ही पटना वीमेंस कॉलेज का बक्सा खुला मोहित प्रकाश एक तरफा जीत की ओर बढ़ गये। एक हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की। सबसे बड़ी बात वीमेंस कॉलेज और मगध महिला कॉलेज का वोट जिस ओर चला गया। उसकी जीत पक्की हो जाती है।  

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